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सभी राजनीतिक दल 17 तक बताएं, वे गाय बचाने के पक्ष में हैं या नहीं : शंकराचार्य

सफीदों, 15 मार्च (निस) गौप्रतिष्ठा को लक्ष्य बनाकर देश की सभी राजनीतिक पार्टियों से जबाब मांग रहे उत्तराखंड में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने शुक्रवार को यहां लोकतंत्रता सेनानी रामगोपाल अग्रवाल के संयोजन में नागक्षेत्र परिसर में धर्मसभा...

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सफीदों में आयोजित धर्मसभा में बोलते ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती। -निस
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सफीदों, 15 मार्च (निस)

गौप्रतिष्ठा को लक्ष्य बनाकर देश की सभी राजनीतिक पार्टियों से जबाब मांग रहे उत्तराखंड में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने शुक्रवार को यहां लोकतंत्रता सेनानी रामगोपाल अग्रवाल के संयोजन में नागक्षेत्र परिसर में धर्मसभा की, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने देश की सभी राजनीतिक पार्टियों से सवाल किया है कि वे 17 मार्च तक जबाब दें कि वे गाय को बचाने के पक्ष में हैं या नहीं। वह गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने व गाय को राष्ट्रमाता घोषित किए जाने की मांग के साथ यात्रा पर हैं।

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शंकराचार्य ने कहा कि दिल्ली में 17 मार्च को निर्धारित उनके गौप्रतिष्ठा निर्णायक दिवस कार्यक्रम के लिए उन्हें 6 दिन पहले कार्यक्रम की स्वीकृति दे दी गई लेकिन वह स्वीकृति बृहस्पतिवार को रद्द कर दी गई। उन्होंने सक्षम अथॉरिटी का नाम लिए बिना सवाल किया कि उसी दिन वहां और भी अनेक कार्यक्रम हैं और उनके इससे पहले किस कार्यक्रम में कानून व्यवस्था खराब हुई। शंकराचार्य दिल्ली में 17 मार्च को निर्धारित गौप्रतिष्ठा निर्णायक दिवस कार्यक्रम की तैयारी में शुक्रवार यहां आए। इस धर्मसभा में गाय के महत्व पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज व्यक्ति लक्ष्मी के लिए लालायित है, लेकिन वह ये नहीं जानता कि लक्ष्मी गौमाता के लिए लालायित रहती है। उन्होने कहा कि गाय केवल दूध देने वाली नहीं अपितु सब कुछ देने वाली है। छोटी उम्र में गाय का मूत्र अनमोल रहता है। बड़ी होकर वह बछड़ा या बछड़ी देती है, दूध देती है और जब वह बड़ी उम्र में ये सब देने में असमर्थ हो जाती है तो अभागे लोग उसे त्याग कर उसकी सेवा से मिलने वाले अत्यंत अनमोल आशीर्वाद से वंचित हो जाते हैं। उन्होंने लोगों को सचेत किया कि 80 करोड़ से भी अधिक सनातनियों के देश में ये अत्यंत दुखद है कि गाय को काट कर पैकेटों में सप्लाई किया जा रहा है, आज गाय, गोविंद व अपने प्राचीन गौरव के प्रति समर्पित होने की जरूरत है।

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