उत्तराखंड में अंगदान करने वाले महेंद्रगढ़ के युवक के परिजनों को एम्स ऋषिकेश ने किया सम्मानित
रविवार 3 अगस्त को एम्स में आयोजित समारोह में वहां पंहुचे सचिन के पिता सतीश कुमार, पत्नी पूजा व भाई पंकज कुमार को साहस प्रदान करते हुए संस्थान की सीईओ एवं कार्यकारी निदेशक मीनूसिंह के हाथों समृति चिन्ह व प्रशंसा पत्र प्रदान कर सम्मानित किया है।
इस दिन दिल्ली में भी समारोह आयोजित किया गया था जिसके मुख्यातिथि केंद्रीय स्वास्थ मंत्री थे, जिसमें उन्हें बुलाया गया था। उन्हें 13 अगस्त को मनाए जाने वाले विश्व अंगदान दिवस के मौके पर आयोजित होने वाले समारोह में शामिल होने के लिए निमत्रंण दिया है।
2024 में कांवड यात्रा के समय सचिन के साथ हुआ था सडक हादसा
सचिन कुमार के पिता सतीश कुमार ने बताया कि वह साथियों के साथ 2024 में कांवड यात्रा पर हरिद्वार गया था। 22 जुलाई 2024 को कांवड लाते समय गुरुकुल नारसन के समीप एक वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी थी, जिससे वह गंभीर घायल हो गया था। पुलिस ने उसे नजदीकी अस्पताल में उपचार दिलाने के लिए भेजा लेकिन एंबुलेंस चालक ने उसे देहरादून के निजी अस्पताल में दाखिल करा दिया।
बाद में परिजनों ने उसे एम्स ऋषिकेश रेफर कराया। जहां गहन जांच व उपचार के बाद चिकित्सकों ने एक अगस्त को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। सचिन के भाई पंकज सहित परिजनों ने सचिन के अंगदान करने का साहसी निर्णय लिया। चिकित्सकों ने बडी बुद्धिमता से शल्य चिकित्सा के जरिए सीमित समय में उसकी किडनी, अमाश्य व फेफडों आदि को कई जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित कर दिया। सचिन के अंगों ने उन मरीजों का जीवन सामान्य व सक्षम बना दिया। उसके अंग प्रत्यारोपित करने के बाद जीवन की आस छोड चुके कई मरीजों को नयी जिंदगी मिल गई।
परिजन आज भी सचिन को मान रहे हैं जिंदा
सचिन आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसके अंग आज भी नियमित रूप से काम कर रहे हैं। एम्स ऋषिकेश की ओर से सचिन को पहला मृतक अंग दान व्यक्ति घोषित किया गया है। उसके परिवार में माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी व दो बच्चे आज भी उसे जीवित मान रहे हैं।