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प्रशासन की पहल : ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर स्लोगन लिखवाकर किसानों को पराली जलाने से रोकेंगे

फसल अवशेष जलाने से रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए उपमंडल प्रशासन ने एक सराहनीय पहल शुरू की है। प्रशासन ने ट्रैक्टरों वाली ट्रालियों पर निशुल्क पेंट कर प्रेरक स्लोगन लिखवाने की सुविधा शुरू की है, ताकि किसान फसल अवशेष...
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फसल अवशेष जलाने से रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए उपमंडल प्रशासन ने एक सराहनीय पहल शुरू की है। प्रशासन ने ट्रैक्टरों वाली ट्रालियों पर निशुल्क पेंट कर प्रेरक स्लोगन लिखवाने की सुविधा शुरू की है, ताकि किसान फसल अवशेष जलाने के दुष्प्रभावों को समझें और इसे रोकें।

अब तक क्षेत्र के 8 किसानों ने इस पहल का लाभ उठाया है और अपनी ट्रालियों पर स्लोगन लिखवाए हैं। प्रशासन की यह पहल सभी किसानों के लिए खुली है। एसडीएम राजेश खोथ ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है और फसल उत्पादन पर भी नकारात्मक असर पड़ता है, जिससे आम जनता और किसानों को नुकसान होता है।

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इसे रोकने के लिए प्रशासन ने ठोस कार्य योजना बनाई है। इसके तहत क्षेत्र में जागरूकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इस खरीफ सीजन में गगनखेड़ी, मेहंदा, कवारी, सुल्तानपुर धमाणा, सिंघवा राघो और सीसाय गांव में शिविर सफलतापूर्वक आयोजित किए जा चुके हैं। उपमंडल के सभी गांवों में यह अभियान आगे बढ़ाया जाएगा, जिसमें कृषि, पशुपालन, राजस्व और शिक्षा विभाग के अधिकारी/कर्मचारी किसानों को जागरूक कर रहे हैं।

माइक्रो प्लानिंग के तहत बढ़ा रहे कदम

एसडीएम ने बताया कि माइक्रो प्लानिंग के तहत धान उत्पादक किसानों की सूची तैयार की गई है। किसानों से मोबाइल और शिविरों के माध्यम से बात कर उन्हें फसल अवशेष न जलाने के फायदे बताए जा रहे हैं। साथ ही, फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनों की जानकारी दी जा रही है, और उन्हें कस्टम हायरिंग सेंटर से कम किराए पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाने की सुविधा भी दी जा रही है।

हर कंबाइन मशीन में एसएमएस होना अनिवार्य

राजेश खोथ ने यह भी बताया कि अब क्षेत्र में संचालित सभी कंबाइन मशीनों में स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे क्षेत्र में आने-जाने वाली सभी कंबाइन मशीनों का निरीक्षण करें और सुनिश्चित करें कि सभी मशीनों में एसएमएस सिस्टम मौजूद हो।

 

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