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एक्टिविस्ट एडवोकेट कल्सन को दो साथियों सहित न्यायिक हिरासत में भेजा

हिसार के ऑटो मार्केट में दो दोस्तों के साथ मिलकर हांसी पुलिस टीम पर हमला करने के आरोप में शहर थाना पुलिस ने हांसी के अजा एक्टिविस्ट एडवोकेट रजत कल्सन से एक दिन के रिमांड के दौरान हुई पूछताछ के...
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हिसार के ऑटो मार्केट में दो दोस्तों के साथ मिलकर हांसी पुलिस टीम पर हमला करने के आरोप में शहर थाना पुलिस ने हांसी के अजा एक्टिविस्ट एडवोकेट रजत कल्सन से एक दिन के रिमांड के दौरान हुई पूछताछ के बाद दो साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद शनिवार को पुलिस ने एडवोकेट रजत कल्सन व उसके दो साथियों सैनीपुरा गांव निवासी दीपक सैनी व हिसार के पीलए निवासी प्रवेश को अदालत में पेश किया जहां से तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

इस दौरान तीनों की जमानत याचिका दायर की गई जिस पर अदालत ने पुलिस से सोमवार को जवाब मांगा है। अब जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी। इससे पूर्व बृहस्पतिवार को नारनौंद पुलिस ने करीब छह माह पहले नारनौंद के बुडाना गांव में हुई एक महिला की हत्या के मामले में आरोपियों का पक्ष लेते हुए सोशल मीडिया में टिप्पणी करने के आरोप में दर्ज एक मामले में एडवोकेट रजत कल्सन को गिरफ्तार किया था जिसमें हांसी की अदालत ने उसको जमानत पर रिहा कर दिया था। इसके तुरंत बाद हिसार पुलिस ने बृहस्पतिवार को उनको पुन: गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस को दी शिकायत में उन्होंने बताया कि नारनौंद थाना में 29 जुलाई को दर्ज एक एफआईआर में एडवोकेट रजत कल्सन आरोपी है।

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एनएचआरसी, एससी/एसटी आयोग को भेजी शिकायत

हिसार जिला न्यायालय के अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट बजरंग इंदल ने रजत कल्सन की गिरफ्तारी के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को संयुक्त शिकायत भेजी है। बजरंग इंदल ने बताया कि रजत कलसन न केवल एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं बल्कि मिर्चपुर हत्याकांड जैसे ऐतिहासिक दलित उत्पीड़न मामलों में पीड़ितों की आवाज बने हैं। इंदल के अनुसार 29 जुलाई को पुलिस ने उन्हें सिविल कपड़ों में अपहरण शैली में गिरफ्तार किया और उसके बाद थानों में रखकर न परिजनों को मिलने दिया और न एफआईआर की कॉपी दी गई। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि पुलिस ने जानबूझकर उन्हें कुख्यात अपराधी की तरह जमीन पर बैठाकर अपमानजनक तरीके से फोटो खिंचवाई और वायरल कराई जो न केवल मानवीय गरिमा के विरुद्ध है बल्कि पूरे दलित समाज और वकील समुदाय का अपमान है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच करवाने की मांग की है।

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