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पिराई क्षमता बढ़ाने की 120 करोड़ की योजना पर विराम

गन्ने की खेती के प्रति किसानों की उदासीनता बनी कारण
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जींद सहकारी चीनी मिल

जसमेर मलिक/ हप्र

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जींद, 26 मई

जींद सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता बढ़ाने की योजना पर फिर विराम लग गया है। इस बार विराम सरकार या हरियाणा शुगरफेड की तरफ से नहीं लगा, बल्कि खुद मिल के गन्ना उत्पादक किसानों की गन्ने की खेती के प्रति उदासीनता ने लगाया है। लगभग 38 साल पहले अस्तित्व में आई जींद सहकारी चीनी मिल की वर्तमान गन्ना पिराई क्षमता 16500 क्विंटल प्रतिदिन की है। इसे बढ़ाने की जरूरत 1998 से महसूस होनी शुरू हुई थी। तब जींद सहकारी चीनी मिल के पास पिराई के लिए सरप्लस गन्ना होता था। गन्ने की पिराई के लिए मिल को 1996 में जून महीने में भी चलाना पड़ा था। 1998 में तत्कालीन सीएम बंसीलाल ने जींद सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता बढ़ाने की घोषणा की थी। 1998 से 2024 के बीच लगभग 26 साल में 6 बार चीनी मिल की प्राइस क्षमता बढ़ाने की घोषणा हुई, लेकिन यह केवल घोषणा रही। पहले तो हरियाणा शुगरफेड से सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता बढ़ाने की योजना को हरी झंडी नहीं मिली। अब लगभग 2 साल पहले हरियाणा शुगरफेड ने जींद सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता बढ़ाने की लगभग 120 करोड़ रुपए की योजना को हरी झंडी दी थी। एक बार तो मिल प्रबंधन ने इस योजना के लिए टेंडर तक जारी कर दिए थे, लेकिन इससे आगे बात नहीं बढ़ पाई।

अब मिल के पास गन्ने की भारी कमी

जींद सहकारी चीनी मिल को एक दौर में गन्ना पिराई क्षमता बढ़ाने की सख्त जरूरत थी। उस दौर में 16500 क्विंटल प्रतिदिन की पिराई क्षमता बहुत कम पड़ रही थी। अब यही पिराई क्षमता भी बहुत ज्यादा साबित हो रही है। कारण यह है कि जींद जिले में गन्ने की खेती की तरफ किसानों का रुझान बहुत कम हो चुका है। साल 2024-25 के गन्ना पिराई सत्र में जींद सहकारी चीनी मिल केवल 2 महीने ही चल पाई, क्योंकि मिल के पास गन्ना बहुत कम था। 2023-34 में भी जींद सहकारी चीनी मिल लगभग 3 महीने ही चल पाई थी। गन्ने की खेती में जींद के किसानों की ज्यादा रुचि नहीं रह गई है। इस कारण मिल की पिराई क्षमता बढ़ाने की योजना ठंडे बस्ती में डाल दी गई है।

गन्ने का रकबा बढ़ाने की उम्मीद : एमडी

जींद सहकारी चीनी मिल के प्रबंधक निदेशक प्रवीण तहलान ने कहा कि फिलहाल मिल की पिराई क्षमता बढ़ाए जाने की जरूरत नहीं। इस बार जींद सहकारी चीनी मिल का गन्ने का रकबा बढ़ने की उम्मीद है। किसानों को गन्ने की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

 

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