बाढ़ में भी किया काम, फिर भी नहीं मिला वेतन
पिछले कई महीनों से अपनी मेहनत की कमाई का इंतजार कर रहे मनरेगा मजदूरों का सब्र अब टूट चुका है। गांव लाछरू और सराला सहित कई गांवों के 60 से 70 मजदूरों ने जोरदार नारेबाजी करते हुए बताया कि उन्हें पिछले 4 से 5 महीनों से उनका वेतन नहीं मिला है। मजदूरों का कहना है कि वे भुखमरी का सामना कर रहे हैं और उनके पास इतना पैसा भी नहीं है कि वे शहर जाकर अपनी बात अधिकारियों तक पहुंचा सकें। मजदूरों ने बताया कि सरकार एक तरफ बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा देने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं दूसरी तरफ उनकी मेहनत का पैसा तक नहीं दे रही है। उन्होंने दिन-रात एक करके सराला हेड की नहर पर टूटे बांध को ठीक करने के लिए 15 दिनों तक काम किया, रेत के थैले भरकर अपनी जान जोखिम में डाली। कई मजदूरों के घर भी बाढ़ में डूब गए, लेकिन उन्हें न तो कोई मुआवजा मिला और न ही उनका बकाया वेतन। मजदूरों का कहना है कि खेती और त्योहारों का समय होने के कारण उन्हें पैसों की सख्त जरूरत है। वेतन न मिलने से उनके परिवारों का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया है। वे सरकार से जल्द से जल्द अपना बकाया वेतन जारी करने की मांग कर रहे हैं।
अधिकारियों का टालमटोल भरा रवैया
मजदूरों का आरोप है कि उन्हें चार महीने से मजदूरी नहीं मिली है और उनके खातों में अब तक पैसे नहीं पहुंचे हैं। जब वे अधिकारियों से बात करते हैं, तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता। इस मामले पर बीडीपीओ, जतिंदर सिंह ढिल्लों ने बताया कि मई महीने तक का भुगतान हो चुका है और पीछे से ही मनरेगा मजदूरों की तनख्वाह नहीं आई है।