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‘आज तितलियां खामोश क्यों मेरे प्यार की’ ने छू लिया मन

लेखक मंच समराला की मासिक बैठक रविवार को शब्दों, सुरों और संवेदनाओं का संगम बन गई। अध्यक्षता कर रहे प्रो. (डॉ.) हरिंदरजीत सिंह क्लेर ने कहा कि साहित्य वह शक्ति है जो समाज के मन और मूल्य दोनों को दिशा...

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लेखक मंच समराला की मासिक बैठक रविवार को शब्दों, सुरों और संवेदनाओं का संगम बन गई। अध्यक्षता कर रहे प्रो. (डॉ.) हरिंदरजीत सिंह क्लेर ने कहा कि साहित्य वह शक्ति है जो समाज के मन और मूल्य दोनों को दिशा देती है। कार्यक्रम की शुरुआत लेखक करमजीत सिंह ‘आजाद’ के गीत ‘आज तितलियां खामोश क्यों मेरे प्यार की’ से हुई, जिसे उन्होंने तरन्नुम में पेश कर उपस्थित लेखकों को भावविभोर कर दिया।

गीत के भाव, लय और प्रस्तुति पर खुलकर चर्चा हुई और सभी ने इसे अद्भुत काव्य अभिव्यक्ति बताया। इसके बाद नेतर सिंह ‘नेतर’ की ‘मतदानी’, करमजीत बासी की ‘फिकरमंदी’ और अवतार सिंह ओटालां का गीत ‘मिट्ठियां गल्लां दा कौण भरू हुंगारा’ ने समा बांध दिया।

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जथेदार केवल सिंह कदों ने अपनी आत्मकथा ‘अभुल यादां’ के अंश सुनाते हुए पंजाब में आतंकवाद के दौर की पीड़ा और साहस को शब्दों में ढाला, जिससे पूरा सभागार मौन हो गया।

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मंच के संरक्षक प्रिंसिपल डॉ. परमिंदर सिंह बैनीपाल ने ढाहा क्षेत्र के लगभग 75 भूले-बिसरे लेखकों पर अपने शोध कार्य की जानकारी साझा की। बैठक में सभी रचनाओं पर सार्थक चर्चा हुई। समापन पर डॉ. क्लेर ने कहा कि लेखक मंच ऐसी साहित्यिक आत्मा है जो समय की सीमाओं से परे होकर समाज को विचारों की नई रोशनी देती है।

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