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इंस्पेक्टर राज से आज़ादी देंगे दुकानदारों को : भगवंत मान

1958 के शॉप एक्ट में बड़ा बदलाव, अब 20 तक हेल्पर रखने पर नहीं देना होगा हिसाब
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चंडीगढ़, 4 जून (ट्रिन्यू)

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कैबिनेट में एक बड़ा फैसला लेते हुए 1958 के पंजाब शॉप एंड कमर्शियल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट में महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी दी है। इसका मकसद राज्य के दुकानदारों और छोटे व्यापारियों को लंबे समय से सताने वाले इंस्पेक्टर राज से पूरी तरह मुक्ति दिलाना है। यह संशोधन जल्द ही विधानसभा में पारित होकर लागू किया जाएगा।

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20 तक हेल्पर रखने पर नहीं देना होगा ब्यौरा

मान ने कहा कि पहले यदि कोई दुकानदार एक भी हेल्पर रखता था तो उसे हर साल इंस्पेक्टर के सामने हिसाब देना पड़ता था, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती थी। नए नियमों के अनुसार यह सीमा बढ़ाकर 20 कर दी गई है। अब 20 से कम कर्मचारियों वाली दुकानें किसी भी प्रकार का ब्यौरा देने से मुक्त होंगी, जिससे छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी।

ओवरटाइम की सीमा हुई दोगुनी, मिलेगा डबल वेतन

सीएम ने बताया कि ओवरटाइम की अधिकतम सीमा पहले 50 घंटे थी, जिसे अब 144 घंटे कर दिया गया है। इसके तहत दिन में 9 घंटे से अधिक काम करने पर डबल वेतन मिलेगा। कुल कामकाजी समय 12 घंटे तय किया गया है, जिसमें आराम का समय भी शामिल है। इससे कर्मचारियों की आमदनी में वृद्धि होगी।

24 घंटे में मिलेगा अप्रूवल, देरी पर स्वीकृत माना जाएगा

20 से अधिक कर्मचारियों वाली दुकानों को पहले सरकारी अप्रूवल लेना होता था, जो कई बार महीनों तक लंबित रहता था। अब इसे सुधारते हुए कहा गया है कि 24 घंटे के अंदर अप्रूवल दे दिया जाएगा, और अगर समय में अप्रूवल न मिले तो उसे स्वीकृत मान लिया जाएगा।

गलती पर मिलेगा सुधार का मौका, व्यापारी हैं सरकार के साथी

भगवंत मान ने कहा कि नियमों के उल्लंघन पर पहली और दूसरी गलती के बीच तीन महीने का अंतराल होगा, जिससे व्यापारी अपनी गलती सुधार सकेंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा, “व्यापारी कोई अपराधी नहीं है, वह सरकार का हिस्सा है।”

यू-ट्यूबर मामलों में केंद्र की जांच जारी

मान ने यह भी कहा कि कुछ यू-ट्यूबर से जुड़ी मामलों की जांच केंद्र सरकार की एजेंसियां कर रही हैं। राज्य सरकार भी अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है।

‘सिंदूर’ मामले पर उठाए सवाल

मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा ‘सिंदूर’ संबंधी फैसले को वापस लेने पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा फैसला पहले क्यों लिया गया, इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए।

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