बाढ़ के बीच उम्मीद की डोर बने ट्रैक्टर
पंजाब की धरती पर संकट की घड़ी है। बारिश ने खेत-खलिहान, घर-आंगन सब डुबो दिए हैं। पर इन्हीं हालात में वही ट्रैक्टर, जिन्हें कभी ‘मुसीबत वाहन’ कहकर रोका-टोका जाता था, अब लोगों की जिंदगी का सहारा बन गए हैं।
गांवों की पगडंडियों से निकले ये ट्रैक्टर कमर-भर पानी में उतरते हैं, रास्ता बनाते हैं और उस रास्ते से भूखे-प्यासे परिवारों तक राहत पहुंचाते हैं। कहीं बच्चों को गोद में उठाकर सुरक्षित ठिकानों तक ले जाया जा रहा है, तो कहीं बुजुर्गों को ट्रैक्टर ट्रॉली में बैठाकर नयी जिंदगी दी जा रही है। जिन ट्रैक्टर चालकों ने कभी चालान और जुर्माना भरा, वे आज बिना डरे, बिना थके अपने गांव ही नहीं, अनजान लोगों की जान बचा रहे हैं।
यह नजारा बताता है कि असली नायक हमेशा वर्दी या पद से नहीं बनते, बल्कि मिट्टी से जुड़े वही लोग होते हैं, जो संकट की घड़ी में सबसे पहले खड़े होते हैं। पंजाब के इन ट्रैक्टरों ने साबित कर दिया है कि ‘लोहे का पहिया’ सिर्फ खेत नहीं जोतता, बल्कि जिंदगी भी संभाल सकता है। पंजाब के 1,000 से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में हैं। पठानकोट, गुरदासपुर, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर, जालंधर और अमृतसर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। राहत टीमें चौबीसों घंटे जुटी हैं। आपात स्थिति में जालंधर फ्लड कंट्रोल रूम से 0181-2240064 पर संपर्क किया जा सकता है।