1993 के फर्जी मुठभेड़ मामले में पंजाब के तीन पूर्व पुलिसकर्मियों को जेल
सीबीआई द्वारा दायर आरोपपत्र के अनुसार, कपूरथला के रावलपिंडी थाने की पुलिस पार्टी ने 27 मार्च, 1993 को रावलपिंडी गांव में पलविंदर सिंह उर्फ पप्पू को उसके घर से उठाया था। उसी दिन, फगवाड़ा के धाड़े गांव के बलबीर सिंह को मंजीत सिंह ने उठा लिया था।
कुछ दिन तक अवैध रूप से हिरासत में रखने के बाद फगवाड़ा थाने ने उनकी गिरफ्तारी दर्ज की। पुलिस ने आरोप लगाया कि उन्हें चोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया था और उनके पास से एक स्कूटर और सोने की अंगूठी जब्त की गई थी। कुछ घंटों के बाद, पुलिस ने दावा किया कि पलविंदर सिंह और बलबीर सिंह हथियार और गोला-बारूद बरामद करने के लिए जाते समय पुलिस हिरासत से फरार हो गए थे। दो दिन बाद, पुलिस ने दावा किया कि सुल्तानपुर लोधी पुलिस के साथ मुठभेड़ में दोनों मारे गए। हालांकि, उनकी मौत की सूचना उनके परिवारों को नहीं दी गई और उनके शवों का लावारिस के रूप में अंतिम संस्कार कर दिया गया। 1995 में पलविंदर सिंह के पिता दर्शन सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2005 को सीबीआई जांच के आदेश दिए। 11 अक्तूबर 2005 को सीबीआई ने चंडीगढ़ में अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 120-बी, 342, 365, 364 और 302 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया। सीबीआई के लोक अभियोजक अनमोल नारंग ने बताया कि 3 जनवरी 2012 को करमजीत सिंह, मंजीत सिंह, गुरमेज सिंह, कश्मीर सिंह और हरजीत सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया। सुल्तानपुर लोधी थाने के तत्कालीन एसएचओ मोहन सिंह और एएसआई इकबाल सिंह की जांच के दौरान मौत हो गई।