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राष्ट्र की उन्नति साहित्यिक संवाद के बिना संभव नहीं : बेदी

समराला, 5 सितंबर (निसं) राष्ट्र केवल भौगोलिक सीमा मात्र नहीं, अपितु यह जनमानस की भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है। यह विचार पदमश्री प्रो. हरमेंदर सिंह बेदी कुलाधिपति केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश ने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के हिंदी विभाग और...

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संगोष्ठी में उपस्थित हिंदी साहित्य के विद्वान तथा अन्य श्रोतागण।
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समराला, 5 सितंबर (निसं)

राष्ट्र केवल भौगोलिक सीमा मात्र नहीं, अपितु यह जनमानस की भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है। यह विचार पदमश्री प्रो. हरमेंदर सिंह बेदी कुलाधिपति केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश ने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के हिंदी विभाग और केंद्रीय हिंदी निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में ‘हिदी साहित्य और राष्ट्र निर्माण’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी के पहले दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की उन्नति साहित्यिक संवाद के बिना संभव नहीं। बीज वक्ता के रूप में हिंदी के मूर्धन्य विद्वान डॉ. रवि कुमार ‘अनु’ ने संगोष्ठी के बीज तत्वों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राचीन भारतीय साहित्यकारों से आधुनिक काल तक के साहित्यकारों ने भारतीय मूल्यों से संबंधित अपनी रचनाओं के माध्यम से वैचारिक धरातल पर राष्ट्र को एकीकृत करने का सफल कार्य किया है। संगोष्ठी के प्रथम सत्र में प्रभारी डॉ. अंजू सिंह ने केंद्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों को वृत्त चित्र के माध्यम से प्रस्तुत किया। डॉ. रजनी प्रताप ने स्थानीय समन्वयक की भूमिका निभाई। संगोष्ठी के दूसरे तकनीकी सत्र में डॉ. कैलाश कौशल, जयनारायण व्यास, डॉ. खंडारे चंदू, डॉ. भवानी सिंह, डॉ. धर्मपाल साहिल ने विचार प्रस्तुत किए। संगोष्ठी के तृतीय सत्र को सार्थक बनाने में डॉ. दयानंद तिवारी, डॉ. वीरेंद्र कुमार तथा वसुधा गाडगिल ने योगदान दिया। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. नीतू कौशल ने मेहमानों का स्वागत किया।

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