वीरेन्द्र प्रमोद/निस
लुधियाना, 11 फरवरी
तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध चल रहा किसान आंदोलन थोड़ा लम्बा खिंच सकता है लेकिन अंत में जीत किसानों की ही होगी। हम पंजाब की अगली पीढ़ी को खुशहाल और मजबूत बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह दावा आज यहां से 45 किलोमीटर दूर जगरांव में आयोजित एक किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने किया। उन्होंने लोगों से हर हाल में शांति और अहिंसा बनाये रखने को कहा। राजेवाल ने अपील की कि आंदोलन कितना भी लम्बा चले लेकिन यदि शांतिपूर्ण रहा तो किसान ही जीतेगा और यदि हिंसक हो गया तो मोदी सरकार की जीत हो जायेगी।
राजेवाल ने कहा कहा कि शुरू में सरकार इसे केवल पंजाब के किसानों का आंदोलन कहती थी फिर उसमें उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के किसान भी आ जुड़े लेकिन अब यह देश का जन आंदोलन बन गया है। किसान नेता का कहना है कि यदि वर्तमान मंडी प्रणाली खत्म कर दी गई तो किसान तबाह हो जायेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में दिये गये भाषणों को भ्रांतिपूर्ण और तथ्यों से परे बताया। अपने संबोधन में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की लेकिन प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ और राज्य सरकार की आंतरिक तौर पर सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार हम से पूछती है कि कानूनों में काला क्या है? जबकि सरकार से हुई ग्यारह दौर की बैठकों में हम प्रत्येक बिंदु पर सिद्ध कर चुके हैं कि इसमें सब कुछ काला ही है।
देशभर में 18 को रोकेंगे ट्रेनें : संयुक्त किसान मोर्चा के आगामी कार्यक्रम की जानकारी देते हुए भाकियू प्रधान ने बताया कि 14 फरवरी को किसान देशभर में पुलवामा के शहीदों की याद में जय जवान-जय किसान दिवस के रूप में मनायेंगे। 16 फरवरी को सर छोटू राम के जन्म दिवस को किसान दिवस के रूप में मनाया जायेगा और उसके दो दिन बाद 18 फरवरी को देशभर में दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक ट्रेनें रोकी जायेंगी।
भाकियू (एकता उग्राहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहं ने भी केंद्र पर ‘किसान विरोधी’ कानून लाने के लिए निशाना साधा और लोगों से ‘लंबी लड़ाई’ की तैयारी करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘हमने कभी भी सरकार से अनुबंध खेती, वैकल्पिक विपणन जैसे एहसानों के लिए नहीं कहा था। उन्हें लाने की आवश्यकता क्यों पड़ी।’ उन्होंने दावा किया कि 80 प्रतिशत से अधिक किसान, विशेष रूप से छोटे कृषक, कानूनों के कारण कार्पोरेट्स के प्रति अपनी जमीन खो देंगे। उन्होंने कहा कि यदि यह कानून वापस न लिए गये तो 86 प्रतिशत किसान भूमिहीन हो जायेंगे। उन्होंने अपने भाषण में तीनों कृषि कानून खत्म करने पर बल दिया। हम इन कानूनों को लागू नहीं होने देंगे। पंजाब में हुई इस पहली किसान महापंचायत को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता किरणजीत सेखों और अमरजीत संधू ने भी संबोधित किया।