रवि पाठक/निस
कपूरथला, 20 अप्रैल
पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल के नेतृत्व में सतलुज नदी की मिट्टी पिछले कई दिनों से इन बाढ़ पीड़ित किसानों के खेतों में बने गड्ढों में डाली जा रही है। पिछले 32 साल से इन छोटे किसानों की जमीन बांझ बनी हुई है और उनके लिए परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। इस जमीन के मालिक परमप्रीत सिंह, जोबनप्रीत सिंह और मनजिंदर सिंह ने बताया कि बाढ़ से जमीन बर्बाद होने से परिवार को ऐसी हालत हो गई कि परिवार के मुखिया को मजदूरी करनी पड़ी।
संत सीचेवाल के सेवादारों ने भी क्षेत्र की संगतों के सहयोग से इस ब्रिज की मरम्मत की, जबकि धुसी बांध को भी मजबूत किया गया, खेत में गड्ढे भरे गए। इससे गेहूं की बुआई के लिए जमीन अच्छी हो गई। इसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि संत बलबीर सिंह सीचेवाल उनकी धरती में गड्ढे भरने में उनकी मदद करेंगे। गिदड़पिंडी में संत सीचेवाल जी के पास पहुंचे और गड्ढे भरने का अनुरोध किया तो उन्होंने खुशी से स्वीकार किया और बाढ़ प्रभावित खेत को मिट्टी से भरने का कार्य शुरू किया। धरमजीत सिंह, जोबनप्रीत सिंह और मनजिंदर सिंह ने बताया कि अभी तक 125 टिप्पर मिट्टी के खेत में डाल चुके हैं और अभी तक 200 से अधिक मिट्टी के टिप्पर डालने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इतने भारी खर्च उनकी पहुंच में नहीं थे। तत्कालीन सरकारों ने भी इनकी कोई मदद नहीं की। संत सीचेवाल की प्रेरणा से लोग खुद दरिया के 53 किलोमीटर लंबे किनारों को मजबूत करने में जुट गए हैं। इसमें सरकार का कोई योगदान नहीं है। संत सीचेवाल की अगुवाई में लोगों ने खुद कार सेवा कर अद्भुत नजीर पेश की है। बाढ़ के खतरे को रोकने के लिए कार सेवा के जरिये संगत दरिया के किनारों को 12 फीट ऊंचा और 35 फीट चौड़ा बना रही है। विभिन्न स्थानों से दरिया के कमजोर किनारों के कारण इस क्षेत्र में करीब 30 बार बाढ़ आ चुकी है। पिछले साल आई बाढ़ में करीब 100 गांव डूब गए थे। 18 से 20 हजार एकड़ में फसल तबाह हो गई थी। अब बन रहे बांध से उम्मीद है कि ग्रामीण की किस्मत बदल जाएगी।