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बाढ़ प्रभावित फसलों का घोषित मुआवज़ा नाकाफी : भाकियू

बाढ़ में किसानों की फसलें और घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं। सरकार द्वारा इस नुकसान के लिए घोषित मुआवज़ा न केवल बेहद शर्मनाक है बल्कि एक खोखला मज़ाक है। ये विचार आज भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) के जिला...
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समराला में बीकेयू (लक्खोवाल) की हुई मासिक बैठक में शामिल किसान नेता और कार्यकर्ता।
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बाढ़ में किसानों की फसलें और घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं। सरकार द्वारा इस नुकसान के लिए घोषित मुआवज़ा न केवल बेहद शर्मनाक है बल्कि एक खोखला मज़ाक है। ये विचार आज भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) के जिला प्रधान मनजीत सिंह ढींडसा की अध्यक्षता में हुई मासिक बैठक में किसान नेताओं ने व्यक्त किए। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार मुआवज़े के संबंध में पुनर्विचार कर किसानों को नुकसान का उचित मुआवज़ा दे, ताकि किसान फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने धान की नमी की मात्रा 17 प्रतिशत तय की है, जबकि भारी बारिश और बाढ़ जैसे मौसम के कारण इस बार धान में नमी की मात्रा अधिक है, इसलिए सरकार इसे 22 प्रतिशत तक माने। बैठक में पंजाब के संरक्षक अवतार सिंह, प्रांतीय महासचिव परमिंदर सिंह पालमाजरा और प्रांतीय प्रेस सचिव गुरविंदर सिंह कूमकलां विशेष तौर पर पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि धान की कटाई के उपरांत पराली संभालने के लिए सरकार बोनस के रूप में 100 रुपये प्रति क्विंटल दे। इस मौके पर किसान नेता और संगठन के ज़िला लुधियाना के सक्रिय कार्यकर्ता बैठक में शामिल हुए।

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