जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 28 मार्च
पिछले 17 साल से एक फेक बीएड कालेज चलता रहा और लोगों को पंजाब यूनिवर्सिटी के नाम पर डिग्रियां बांटता रहा। मजे की बात ये है कि कालेज की अपनी कोई न तो बिल्डिंग है और न ही कोई रेगुलर स्टाफ है, कालेज के पास न टीचर्स का रिकार्ड है और न ही छात्रों की हाजिरी का कोई लेखा। कलगीधर इंस्टीट्यूट आफ हायर एजुकेशन के नाम पर बरेटा एजुकेशन सोसायटी के बैनर तले चल रहे इस फर्जी कालेज का खुलासा पीयू की ओर से प्रो. अनुराधा के अगुवाई में गयी एक इंस्पेक्शन कमेटी की रिपोर्ट से हुआ जो सीनेट की मीटिंग में रखी गयी। रोचक बात ये है कि इसका भंडाफोड़ कालेज में ही ‘कार्यरत’ बतायी जाने वाली एक टीचर गुरसंगीत बराड़ की इस सारे फर्जीवाड़े के बारे में भेजी गयी शिकायत के बाद हुआ। चांसलर आफिस से मिली शिकायत के बाद कुलपति ने कमेटी बनायी जिसमें चेयरपर्सन अनुराधा शर्मा के अलावा प्रो. दिनेश कुमार, रामेहर और निर्मल पाल शामिल थे। 5 जनवरी 2022 को दौरे पर गयी कमेटी ने पाया कि जिस बिल्डिंग में कालेज होने का दावा किया गया वह तो किसी साहिब सिंह बराड़ के कब्जे में है जो पिछले 10 साल से उसकी पैतृक संपत्ति हैं। साहिब सिंह ने इस संबंध में दस्तावेज भी पेश किये। गुरसंगीत के अनुसार पिछले 15 सालों से कालेज मैनेजमेंट सोसायटी का कर्ताधर्ता सतगुरुदेव राज गर्ग उर्फ पप्पी गर्ग पीयू की ओर से आने वाली इंस्पेक्शन टीमों को ‘पप्पी मार्केट’ में बुलाता रहा। पप्पी गर्ग ने दावा किया कि जमीन का 52/3 हिस्सा उसके पास है, साथ ही माना कि भवन उसके कब्जे में नहीं है। कमेटी के पूछने पर उसने बताया कि कक्षाएं तो आनलाइन लग रही हैं। स्टाफ बारे उसने बताया कि सारा स्टाफ नहीं बुलाया गया केवल छह लोग बुलाये गये हैं जिसमें प्रिंसिपल सुनीता आर्य, शविंदर सिंह, गुरसंगीत बराड़ और राजन सेठी के अलावा गुरविंदर व नीलम भी शामिल थे। लेकिन ये लोग कमेटी के समक्ष संबंधित दस्तावेज पेश करने में नाकाम रहे। इनमें से राजन सेठी तो कालेज में मुफ्त पढ़ा रहे थे जबकि प्रिंसिपल को 85 हजार और एक टीचर को 21600 और इंस्ट्रक्टर को 15600 वेतन दे रहे थे। गुरसंगीत को कक्षाएं नहीं दे रखी थी उलटे कहा कि इनके बारे में शिकायत एसपी श्री मुक्तसर साहिब को दे रखी है, जिसकी कॉपी भी दी। कमेटी ने पूछा कि आपके रोजमर्रा के काम, कहां होते हैं, सैलरी का रिकार्ड, टीचर्स की हाजिरी, टीचर्स की असाइनमेंट और स्टूडेंट्स की हाजिरी कहां है। पप्पी गर्ग ने इस पर जवाब दिया कि ये सब उस बिल्डिंग में जो अब उनके कब्जे में नहीं है। कालेज में 2020-21 के दाखिले कर रखे थे जबकि 2021-22 के एडमिशन नहीं किये। कमेटी को कालेज में दाखिल होने का कोई गेट, सड़क पर कोई संकेतक या साइन बोर्ड भी नहीं मिला।
कमेटी की रिपोर्ट पर सीनेट में उछला मसला
इंस्पेक्शन कमेटी रिपोर्ट पर सीनेट मीटिंग में अब यह मसला जमकर उछला। सीनेटर जगवंत सिंह, गुरमीत सिंह ने सवाल किया कि 15 साल से भी ज्यादा समय से यह फ्रॉड चलती रहा और पीयू ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया? प्रभजीत सिंह ने कहा कि 2004 में भी पोल्ट्री फार्म में कालेज चलने की शिकायतें मिली थी जहां पर कोई स्टाफ कोई भवन नहीं था। अब भी गुरसंगीत के चांसलर को शिकायत देने पर कार्यवाही हो रही है। प्रियतोष ने कहा कि इस कालेज से पढ़कर गये लोगों ने यहां की डिग्री से कहां-कहां नौकरी पायी इसकी भी जांच होनी चाहिए। नरेश गौड़ ने मांग की इसका पता लगाया जाये कि कौन लोग थे जिन्होंने इस कालेज को एफिलिएशन के लिये अप्रूवल दी। उन्होंने एेसे गिरोहों को रोकने के लिये पीरियोडिकल इंस्पेक्शन टीमें भेजने की मांग की।