लुधियाना में सतलुज का प्रकोप : सालभर की मेहनत उजड़ी, बाढ़ ने किसानों को तोड़ा
माछीवाड़ा के किसान हरभजन सिंह अपने खेत में खड़े थे, जहां धान की हरी लहरें अब पानी में डूबी पड़ी थीं। आंखों में निराशा लिए उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद से बोते हैं, लेकिन प्रकृति की अपनी योजना होती है। पूरी फसल खत्म हो गई। अब कर्ज कैसे चुकाऊंगा, समझ नहीं आता।’
सिधवां बेट की किसान गुरप्रीत कौर ने भी टूटी आवाज में कहा, ‘हमारी सालभर की आमदनी इसी फसल से थी। पानी इतनी तेजी से आया कि हम औजार तक नहीं बचा पाए। यह सिर्फ फसल नहीं, हमारी रोजी-रोटी बह गई।’ मुख्य कृषि अधिकारी गुरदीप सिंह ने बताया कि नुकसान केवल नदी के कछार तक सीमित है। जिले का बाकी हिस्सा सुरक्षित है। प्रभावित क्षेत्र सिधवां बेट, माछीवाड़ा और मंगट ब्लॉक बताए गए हैं।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) ने किसानों को पानी निकालने और वैज्ञानिक उपाय अपनाने की सलाह दी है। विशेषज्ञों ने यूरिया व पोटैशियम नाइट्रेट का छिड़काव करने और फफूंद से बचाव के लिए दवा डालने की सिफारिश की है। भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के अध्यक्ष हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि किसान सरकारी मुआवजे की उम्मीद में हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि हालात सुधरने पर संगठन प्रभावित परिवारों को अगली फसल के लिए बीज, खाद और श्रम उपलब्ध कराएगा।