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अनुशासन के मामले में सिक्किम भारत का मार्ग दर्शक : बैनीपाल

लेखक मंच समराला की मासिक बैठक में लेखकों ने बिखेरा रंग
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समराला, 13 जुलाई (निस)

किसी भी देश और राष्ट्र की प्रगति में उसके नागरिकों का अनुशासनप्रिय होना बहुत बड़ा योगदान देता है। बिना अनुशासन के कोई भी समाज तरक्की नहीं कर सकता। ये विचार आज यहां लेखक मंच समराला की मासिक बैठक के दौरान अपने सिक्किम राज्य के दौरे के अनुभव साझा करते हुए लेखक मंच समराला के संरक्षक और प्रिंसिपल डॉ. परमिंदर सिंह बैनीपाल ने उपस्थित लेखकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सिक्किम भारत का ऐसा राज्य है, जहाँ के निवासियों ने जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन को सख्ती से अपनाया है और बेमिसाल प्रगति की है। उन्नति के लिए सिक्किम के नागरिकों की तरह सभी राज्यों के लोगों को अनुशासनप्रिय बनना चाहिए, तभी देश आगे बढ़ सकता है। उन्होंने सिक्किम राज्य की संस्कृति, विकास और वहां की जीवनशैली पर विस्तार से विचार रखे। डॉ. बैनीपाल ने यह भी बताया कि सिक्किम में अधिकतर महिलाएं पुरुषों से आगे बढ़कर काम कर रही हैं और हर क्षेत्र में महिलाएं सुरक्षित हैं। इससे पहले उन्होंने इस क्षेत्र की लगभग भुला दी गई साहित्यिक और गीतकार हस्ती ‘खुशदिल समरालवी’ के जीवन और रचनात्मकता पर कुछ तथ्य लेखकों के समक्ष प्रस्तुत किए।

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इसी दौरान लखबीर सिंह बलाला और डॉ. हरजिंदरपाल सिंह ने गर्मी की छुट्टियों के दौरान की गई अपनी यात्राओं के दिलचस्प व्याख्यान प्रस्तुत किए। एडवोकेट और कहानीकार दलजीत सिंह शाही और प्रिंसिपल डॉ. परमिंदर सिंह बैनीपाल की सरपरस्ती तथा लेखक मंच समराला के प्रधान, नाटककार राजविंदर समराला की अध्यक्षता में आयोजित इस मासिक बैठक में रचनाओं के दौर में नेतर मुतियों ने गीत ‘भेष’, मंदीप सिंह ने गीत ‘हालात’, पत्रकार करमजीत सिंह ‘आज़ाद’ ने गीत और उस्ताद ग़ज़ल गायक एस. नसीम ने अपनी ग़ज़ल ‘गूंज उठती है यादों में उसकी हँसी शाम ढले’ सुनाकर महफिल को रंगीन माहौल से सराबोर कर दिया। एस. नसीम की ग़ज़ल को सभी लेखकों ने खुलकर सराहा। इसी तरह अमरजीत कौर मरिंडा की ग़ज़ल ‘नहीं होना असर कोई तबीबा इस दवाई का’ सुनाकर माहौल को गंभीर बना दिया।

अवतार ओटालां और परमजीत खड़क के गीत भी आकर्षण का केंद्र रहे। नाटककार जगदीश खन्ना ने अपने नए नाटक की स्क्रिप्ट पढ़कर सुनाई, जिसमें महामारी के दौरान टूटते रिश्तों की त्रासदी को दर्शाया गया। उपस्थित लेखकों में नवदीप सिंह, करमजीत सिंह बासी, केवल कदों, प्रो. डॉ. हरिंदरजीत सिंह क्लेर, अदाकारा कमलजीत कौर, रवि हंस, अजय कुमार और कपिल विजन भी शामिल थे।

पत्रकार एवं मंच के महासचिव ने हिंदी कविता प्रस्तुत की। मंच के प्रधान राजविंदर समराला ने लेखकों का धन्यवाद किया।

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