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विधानसभा में हंगामा, नई औद्योगिक नीति लाएगी सुक्खू सरकार

मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष का सदन से वाकआउट
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हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को राज्य में उद्योगों को पूर्व भाजपा सरकार द्वारा दी गई कथित रियायतों के मुद्दे पर भारी हंगामा हुआ। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा उद्योगों को रियायतें दिए जाने के मुद्दे पर सदन में प्रश्नकाल के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार नारेबाजी हुई और तीखी नोक-झोंक के बीच विपक्षी भाजपा ने सदन से वाकआउट किया। इस दौरान, मुख्यमंत्रीसुक्खू ने मूल प्रश्न के उत्तर में दखल देते हुए कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ में कुछ उद्योगों को सभी नियमों को ताक पर रखकर न केवल जमीन का आवंटन किया, बल्कि अन्य सुविधाएं देकर प्रदेश के खजाने पर बेवजह बोझ डाला। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन कंपनियों को जहां एक रुपए प्रति वर्गमीटर के हिसाब से हजारों बीघा जमीन दे दी गई, वहीं, बिजली भी 10 वर्षों के लिए तीन रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से देने का करार किया गया। जबकि प्रदेश खुद सर्दियों में छह रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदता है। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों को कस्टमाइज पैकेज के नाम पर स्टांप ड्यूटी में शतप्रतिशत की छूट दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कस्टमाइज पैकेज जनता के पैसे को लुटाने का पैकेज था। मुख्यमंत्री ने सदन में घोषणा की कि सरकार इस पैकेज की सारी जानकारी जुटाएगी और प्रदेश की संपदा लूटने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने इन कंपनियों को कस्टमाइज पैकेज के नाम पर दी गई छूट के फैसले पर फिर से विचार करने की बात भी कही। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि सरकार जल्द ही वर्ष 2019 की औद्योगिक नीति के स्थान पर नई औद्योगिक नीति लाएगी।

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इससे पूर्व, विधायक बिक्रम ठाकुर के मूल प्रश्न के उत्तर में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि पिछले करीब पौने तीन साल में प्रदेश में 2853 करोड़ रुपए का औद्योगिक निवेश हुआ और 6210 एमओयू साइन किए गए। इसी मुद्दे को लेकर विधायक रणधीर शर्मा, राम कुमार चौधरी और सुखराम चौधरी ने भी सवाल पूछे।

असंसदीय शब्दों के मुद्दे पर हंगामा

विधानसभा में मंगलवार को असंसदीय और आपत्तिजनक शब्दों के प्रयोग को लेकर भारी हंगामा हुआ। यह हंगामा उस वक्त आरंभ हुआ, जब भाजपा के विपिन सिंह परमार ने राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी द्वारा नेता प्रतिपक्ष को लेकर आपत्तिजनक शब्द प्रयोग करने का मामला उठाया। इस दौरान विपिन सिंह परमार और जगत सिंह नेगी में तीखी नोक-झोंक हुई जो बाद में नारेबाजी में तब्दील हो गई। इस बीच, सदन में दोनों पक्षों के सदस्य अपनी-अपनी सीटों पर खड़े हो गए और नारेबाजी करने लगे, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने सदन की कार्यवाही तय समय से पहले भोजनावकाश के लिए स्थगित कर दी।

 

 

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