जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 22 फरवरी
हरियणा, हिमाचल और उत्तराखंड में रेत के किये जा रहे अंधाधुंध खनन के चलते नदियों के किनारे और उनके रास्ते तक बदल गये हैं। कई जगहों पर तो अधिक खुदाई के कारण गहर गड्डे झील की तरह बन गये हैं जिनमें पानी भरा खड़ा है। यह खुलासा हुआ है पंजाब इंजीनियरिंग कालेज (पेक) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. हर अमृत सिंह संधू और उनकी टीम द्वारा किये गये एक सर्वे में हुआ है। कल्पना चावला चेयर के संयोजक डॉ. संधू और उनके साथ पीएचडी शोधार्थी राजन डबराल ने प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल आफ ऑडिट के साथ मिलकर भू-स्थानिक तकनीक से किये गये मूल्यांकन को सत्यापित करने के लिये यह सर्वे किया है। डॉ. संधू की टीम ने हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड से बहने वाली नदियों में होने वाली रेत की खुदाई से नदी के बहाव में बाधाएं खड़ी हुई जिससे नदी के बहने का रास्ता और किनारे तक बदल गये। टीम ने रिमोट सेंसिंग इमेज के जरिये खनन साइटों पर भू-स्थानिक तकनीक से इस सब का पता लगाया। इतना ही नहीं उन्होंने अपने सर्वे में यह भी पता लगाया कि कई ठेकेदार लीज खत्म होने के बाद भी खनन करते रहे और निर्धारित गहराई से ज्यादा नीचे तक खोदते गये। पेक के निदेशक प्रो. बलदेव सेतिया ने प्रो. संधू और उनकी टीम को इस अहम कार्य के लिये बधाई दी है।