कपूरथला, 25 जुलाई (निस)
रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) ने थर्ड एसी कोच का नया वेरिएंट तैयार किया है। नाम रखा है थ्री-ई। कोच में यात्रियों की कई सुविधाओं का ख्याल रखा गया है। थर्ड एसी में पहले 72 सीटें होती थी, अब 83 होंगी यानी 11 सीटें ज्यादा लगाई गई हैं। कोच के बाहर इसका कोड एम लिखा रहेगा। कोच में यात्रियों के लिए चार्जर पॉइंट से लेकर स्नैक्स टेबल और पानी की बोतल तक की सुविधा होगी। वहीं, सीसीटीवी कैमरे, चार्जिंग के लिए यूएसबी पॉइंट और नए वॉशरूम भी बनाए गए हैं। हर सीट पर एसी वेंट दिया गया है, जिसे यात्री सुविधा के हिसाब से खोल-बंद कर सकते हैं। यही नहीं अपर बर्थ पर चढऩे के लिए यात्रियों के लिए सुविधाजनक सीढ़ी भी बनाई गई है। अधिकारियों के मुताबिक अप्रैल 2021 से लेकर मार्च 2022 तक कुल 256 कोच बनाए जाने हैं। 12 मार्च को ट्रायल के बाद 40 कोच पश्चिमी रेलवे, केंद्रीय रेलवे और उत्तर-केंद्रीय रेलवे को दिए गए। 2 कोच और तैयार हो चुके हैं। ये कुछ ही दिनों में उत्तर रेलवे को मिल जाएंगे। इसके अलावा बचे 214 कोच मार्च-22 से पहले तैयार किए जाएंगे। नए कोच में विकलांग यात्रियों के लिए कई सुविधाएं रखी गई हैं। कोच के 4 में से 2 दरवाजों (डिब्बे के दोनों तरफ एक-एक दरवाजा) को इस हिसाब से बनाया गया है कि विकलांग की व्हीलचेयर आराम से जा सके। यही नहीं कोच के भीतर विकलांग यात्रियों के लिए अलग से वॉशरूम बनाया गया है। इसमें टॉयलेट सीट से लेकर दरवाजे तक की सुविधा विकलांग की सुविधा के हिसाब से रखी गई है। अप्रैल 2022 तक 256 कोच बनाने का टारगेट है। इसमें से अभी 40 कोच बने हैं। उम्मीद है कि हम समय पर लक्ष्य पूरा कर लेंगे। नए कोच में काफी सुविधाएं दी हैं। इसमें विकलांगों के लिए भी काफी सुविधाएं हैं। हर सीट पर चार्जर पॉइंट, यूएसबी पॉइंट, एसी शटल, बोतल स्टैंड, स्नैक्स टेबल दिव्यांगों के लिए स्पेशल दरवाजे इत्यादि सुविधाएं दी गई हैं।
अग्निसुरक्षा उपकरण से लैस डिब्बे तैयार किए
रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) कपूरथला ने ऐसे पांच डिब्बे तैयार किए हैं जो स्वत: ही धुएं का पता लगा लेंगे। साथ ही इन डिब्बों का निर्माण अग्निरोधी सामग्री और छत पर लगने वाले वातानुकूलन पैकेज इकाइयों का इस्तेमाल करके किया गया है। आरसीएफ के महाप्रबंधक रवीन्द्र गुप्ता ने बताया कि इनके कामकाज को देखने के बाद अन्य डिब्बों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने एक बयान में कहा कि उन्नत सामग्रियों का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक फिटिंग तथा अन्य तकनीकी कामों में किया गया है। बयान में कहा गया है कि अग्निरोधक सामग्री का इस्तेमाल डिब्बों की सीटों आदि में किया गया है, वहीं यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेल के डिब्बों में अग्निशमक लगाए जा रहे हैं।