Punjab Parali Burn : पराली संकट पर एक्शन मोड में आयोग, पंजाब से तत्काल कार्रवाई की मांग
सीएक्यूएम ने पंजाब को पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने को तेजी से कार्रवाई करने को कहा
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Punjab Parali Burn : वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पंजाब से पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल और समन्वित कार्रवाई का शनिवार को आह्वान किया। साथ ही आयोग ने कहा कि हरियाणा में चालू धान कटाई के मौसम के दौरान ऐसे मामलों में उल्लेखनीय कमी आयी है।
पंजाब के क्षेत्रीय दौरे के दौरान, सीएक्यूएम अध्यक्ष राजेश वर्मा ने बठिंडा स्थित लहरा मोहब्बत ताप विद्युत संयंत्र की खराब स्थिति और उत्सर्जन मानदंडों के पालन नहीं करने पर गंभीर चिंता जताई। आयोग ने चेतावनी दी कि यदि तत्काल सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए तो वह इसे बंद करने के निर्देश जारी कर सकता है। टीम को क्षेत्र में पराली जलाने की छिटपुट घटनाएं भी मिलीं।
सात नवंबर को पंजाब सरकार के साथ एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक में, आयोग ने पाया कि राज्य में इस वर्ष 15 सितंबर से 6 नवंबर के बीच पराली जलाने की 3,284 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 2024 में इसी अवधि के दौरान 5,041 मामले दर्ज किए गए थे, जो कि केवल मामूली सुधार दर्शाता है। उसने कहा कि मुक्तसर और फाजिल्का सहित कुछ जिलों में पराली में आग लगाने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, जिसके लिए तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
सीएक्यूएम ने यह भी कहा कि पंजाब के चार ताप विद्युत संयंत्रों ने सितंबर तक केवल 3.12 लाख मीट्रिक टन पराली का ही संयुक्त दहन किया, जबकि 2025-26 के लिए 11.83 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया था। इसने राज्य को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रयासों को बढ़ाने, मशीनरी की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने और संपीड़ित बायोगैस संयंत्रों के लिए सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया।
आयोग ने अधिक सख्त प्रवर्तन और जवाबदेही पर जोर देते हुए पंजाब को जागरूकता अभियान तेज करने और खेतों में पराली में आग लगाने की अधिक घटनाओं वाले क्षेत्रों में अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया। हरियाणा के प्रदर्शन की समीक्षा करते हुए, आयोग ने कहा कि राज्य में खेतों में पराली में आग लगाने की घटनाओं में भारी गिरावट दर्ज की गई है। उसने कहा कि 15 सितंबर से 6 नवंबर के बीच 206 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 888 घटनाएं हुई थीं।
सीएक्यूएम ने इस सुधार का श्रेय सक्रिय प्रवर्तन, प्रोत्साहन-आधारित हस्तक्षेपों और किसानों के बीच पराली प्रबंधन के प्रति व्यवहारिक बदलाव को दिया। आयोग ने हरियाणा में वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण और तोड़फोड़ से निकलने वाली धूल और नगरपालिका अपशिष्ट प्रबंधन सहित अन्य प्रमुख प्रदूषण स्रोतों की भी समीक्षा की। इसने क्षेत्र में स्वच्छ वायु सुनिश्चित करने के लिए कार्य योजनाओं और वैधानिक निर्देशों के सख्त क्रियान्वयन का निर्देश दिया।
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