पंजाब : पुलिस जांच में अटकीं अखबारों की गाड़ियां
समाचार वेबसाइटों और सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो और रिपोर्टें तेजी से शेयर की गईं, जिनमें अखबारों वाले वाहनों और हॉकर्स पुलिस थानों के बाहर घंटों इंतजार करते दिखाई दिये। वहीं, पंजाब पुलिस ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि यह जांच प्रेस की स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए नहीं थी, बल्कि उन खुफिया सूचनाओं पर आधारित थी कि भारत विरोधी समूह कुछ वाहनों का इस्तेमाल पाकिस्तान से हथियारों या ड्रग्स की तस्करी के लिए कर सकते हैं। पुलिस ने यह नहीं बताया कि कोई अवैध सामान मिला या नहीं।
वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा कि आतंकवाद के दिनों में भी अखबारों के वाहनों को इतने बड़े पैमाने पर कभी नहीं रोका गया था।
अबोहर में अखबार वितरकों ने बताया कि आमतौर पर गाड़ियां सुबह 4 से 5 बजे तक सभी सेंटरों पर पहुंच जाती हैं, लेकिन पुलिस की जांच के कारण रविवार को सुबह 11 बजे तक भी नहीं पहुंच पाईं। वाहन चालकों ने बताया कि कि एक-एक गाड़ी को चार-चार जगह पर नाके लगाकर चेक किया गया। गाड़ियों को पूरी तरह खाली करवाया गया।
पटियाला में भी अखबार ले जा रहे वाहनों की सुबह-सुबह कड़ी जांच की गई। खनौरी, मूनक, समाना और पातड़ा जैसे छोटे कस्बों में समाचार पत्रों की आपूर्ति प्रभावित हुई।
नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इस कार्रवाई को प्रेस की स्वतंत्रता पर भयावह हमला करार दिया। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने सरकार पर मीडिया को चुप कराने की कोशिश करने का आरोप लगाया। कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने छापों को चिंताजनक और अभूतपूर्व बताते हुए राज्य सरकार से जवाब और पारदर्शिता की मांग की।
