Punjab News : वोटों से भलाई की आस छोड़ो, संघर्षों के रास्ते पर चलो', खेत मंत्री के घर के बाहर होने वाले धरने से पहले गांवों में गूंजे नारे
Punjab News : पंजाब में ब्लॉक समिति और जिला परिषद चुनावों की सरगर्मियों के बीच खेत मजदूर झूठे राजनीतिक वायदों से तंग आकर आर-पार की लड़ाई के रास्ते पर उतर आए हैं। पंजाब खेत मजदूर यूनियन ने चुनावों को मेहनतकश लोगों को बांटने और असली मुद्दों को दबाने का जरिया बताया है और 11 दिसंबर को कृषि मंत्री गुरमीत खुड्डियां के घर के बाहर प्रस्तावित धरने की तैयारी के लिए लंबी हलके के गांवों में लामबंदी अभियान छेड़ा हुआ है।
यूनियन की हकी मांगों में पक्का रोजगार, महिलाओं को प्रति माह एक हजार रुपए, आम आदमी सरकार की चुनावी गारंटियों को लागू करना, मजदूर-किसानों पर दर्ज मामलों की रद्दीकरण, मजदूर–किसान हितैषी व पर्यावरण हितैषी खेती नीति, जमीन सुधार कानून, बिजली संशोधन बिल 2025 तथा श्रम कोड और निजीकरण नीतियों को रद्द करना शामिल हैं।
यूनियन के प्रांतीय महासचिव लछमण सिंह सेवेवाला और ब्लॉक प्रधान काला सिंह सिंघेवाला की अगुवाई में गांव मेहना, मिठड़ी बुद्धगिर, भागू और अन्य गांवों की बैठकों में वक्ताओं ने आप सरकार को कठघरे में खड़ा किया। मजदूर नेताओं ने कहा कि चुनाव मेहनतकश वर्ग में दरार डालने और सवालों को दबाने का काम करते हैं। उन्होंने मजदूरों को ‘वोटों से भलाई की आस छोड़ो, संघर्षों के रास्ते पर चलो’ का नारा देते हुए जागरूक किया गया।
मजदूर नेताओं ने आरोप लगाया कि ‘बदलाव’ के नाम पर बनी सरकार भी कॉरपोरट समर्थक और मजदूर विरोधी नीतियां लागू कर रही है। महिला मजदूर नेता तारावंती ने महिलाओं को वादा किए गए हजार रुपए की ‘गारंटी’ याद दिलाई और कहा कि अब मजदूर महिलाएं चुप नहीं बैठेंगी। गांवों में नुक्कड़ बैठकों के जरिए 11 दिसंबर के खुड्डियां धरने में परिवार सहित पहुंचने की अपील की जा रही है। काला सिंह खूनन खुर्द और रामपाल सिंह गग्गड़ ने भी व्यापक लामबंदी की अपील की।
बिजली संशोधन बिल गरीब घरों में अंधेरा करने की साजिश बताया
पंजाब खेत मजदूर यूनियन ने बिजली संशोधन बिल2025 को गरीब परिवारों को अंधेरे में धकेलने की साजिश करार दिया है। इसी वजह से उन्होंने किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाने का फैसला किया है। 8 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा पावरकॉम दफ्तरों के बाहर दिए जाने वाले धरनों में बड़ी संख्या में मजदूर शामिल होंगे।
