राजमीत सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 1 अगस्त
स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. इंदरबीर सिंह निज्जर ने नगर पालिका कानूनों के तहत भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू), पूर्णता प्रमाण-पत्र (कंपलीशन सर्टीफिकेट) और बिल्डिंग प्लान की मंजूरी के लिए अपनी पावर फील्ड स्टाफ को दे दी है। कोई कालोनी विकसित करने या भवन के कंपीलीशन पर अब संबंधित अधिकारी ही फैसला ले सकेंगे। पिछले 20 वर्षों से निज्जर के पूर्ववर्ती मंत्री इस पावर का खुद प्रयोग कर रहे थे, जो कथित तौर पर नगरपालिका कानूनों के उल्लंघन है, जो स्पष्ट रूप से बताते हैं कि निगम अधिनियम 1976 और पंजाब नगर अधिनियम, 1911 के तहत सक्षम प्राधिकारी नगर निगम के मामले में आयुक्त और नगर पालिका के तहत नगर परिषद और नगर पंचायतों के मामले में ईओ थे। अब फाइलों को तकनीकी और प्रशासनिक मंजूरी के लिए विभाग के मंत्री और प्रशासनिक सचिव को भेजने की अनुमति दी है। पिछले दो दशकों में लगातार सरकारों ने 1995 और 2002 में ‘संदिग्ध’ निर्देश जारी किए जिसके माध्यम से यूएलबी को मुख्य नगर योजनाकार से ‘तकनीकी सलाह’ लेने के लिए कहा गया। तकनीकी सलाह सीटीपी कार्यालय द्वारा दी जाती थी और प्रशासनिक स्वीकृति सचिव और स्थानीय सरकार के मंत्री द्वारा दी जाती थी। मंत्री इंदरबीर निज्जर ने कहा कि उन्होंने सीएलयू ग्रांट करने और लेआउट और भवन योजनाओं के अनुमोदन के लिए प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत और सरल बनाने की कोशिश की है।
इससे अब 2 एकड़ से अधिक की व्यावसायिक परियोजनाओं के लेआउट प्लान के लिए मुख्य नगर नियोजक तकनीकी सलाह देंगे और अन्य परियोजनाओं के लिए वरिष्ठ नगर नियोजक कार्य करेंगे।