पंजाब में फिर उठने लगा धुएं का गुबार, पराली जलाने में तरनतारन और अमृतसर सबसे आगे
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के अनुसार, 15 सितंबर से 26 अक्तूबर तक पराली जलाने की कुल 743 घटनाएं दर्ज हुई हैं। इनमें तरनतारन जिला सबसे आगे रहा, जहां 224 घटनाएं दर्ज की गईं। इसके बाद अमृतसर में 154, फिरोजपुर में 80, संगरूर में 47, पटियाला में 39, गुरदासपुर में 38 और कपूरथला में 29 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
अधिकारियों ने बताया कि कई किसान राज्य सरकार की चेतावनियों और अपीलों के बावजूद खेतों में आग लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। 20 अक्तूबर तक पराली जलाने के 353 मामले दर्ज हुए थे, जो एक सप्ताह के भीतर बढ़कर 390 तक पहुंच गए हैं।
राज्य में इस बार धान की खेती का कुल रकबा 31.72 लाख हेक्टेयर है। इनमें से 56.50 प्रतिशत हिस्से की कटाई पूरी हो चुकी है। जैसे-जैसे कटाई बढ़ रही है, खेतों में पराली का ढेर भी बढ़ता जा रहा है। जल्दी बुवाई के दबाव में किसान पराली हटाने का सबसे आसान तरीका आग लगाना ही मान रहे हैं।
329 मामलों में लगााय 16.80 लाख का जुर्माना
पीपीसीबी के अनुसार अब तक 329 मामलों में पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में 16.80 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से 12 लाख रुपये वसूले जा चुके हैं। इसके अलावा भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223 के तहत खेतों में आग लगाने के 266 मामलों में प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।
हर साल की तरह इस बार भी चिंता का केंद्र दिल्ली-एनसीआर की हवा बनी हुई है। जैसे-जैसे पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर भी गंभीर श्रेणी की ओर बढ़ता जा रहा है।
