पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में बाढ़ पर घमासान
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 1600 करोड़ की घोषणा की लेकिन बीस दिन बाद भी एक रुपया नहीं आया।
नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने सदन में मुख्यमंत्री भगवंत मान और वित्त मंत्री को घेरते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं पंजाब सरकार के पास 12 हजार करोड़ पड़ा है, जबकि सीएम और मंत्री कहते हैं 1500 करोड़ हैं। सच्चाई जनता को बताई जाए कि झूठ बोल कौन रहा है - प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री। उन्होंने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यह अब रंगला पंजाब नहीं रहा, बल्कि कंगला पंजाब बना दिया गया है। पूरी बाढ़ की जांच होनी चाहिए। सबसे पहले सिंचाई मंत्री इस्तीफा दें और विभाग के सचिव कृष्ण कुमार को तुरंत सस्पेंड किया जाए। बाजवा के आरोपों पर वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि कांग्रेस दरअसल बीजेपी की एजेंट की तरह काम कर रही है। फंड रोकने का फायदा भी इन्हीं को है।
बरिंदर गोयल ने केंद्र पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बाढ़ के बाद केंद्रीय नेता पंजाब आए जरूर, लेकिन जख्मों पर मरहम लगाने की बजाय यह कहकर लौट गए कि माइनिंग ज्यादा हुई इसलिए बाढ़ आई।
1988 से भी बड़ी आई बाढ़
जल संसाधन मंत्री बरिंदर गोयल ने सदन में बाढ़ पर रिपोर्ट रखी। उन्होंने बताया कि इस बार 14 लाख 11 हजार क्यूसेक पानी पंजाब में आया, जबकि 1988 में 11 लाख 20 हजार क्यूसेक आया था। यानी इस बार 20 प्रतिशत ज्यादा पानी ने पंजाब को तबाह किया। गोयल ने कहा कि केंद्रीय मौसम विभाग के अनुमान गलत साबित हुए, और पंजाब को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा कि हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान की तरफ से आने वाला सारा पानी हमारी नदियों में भर गया। ऊपर से भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड का कंट्रोल भी पंजाब के पास नहीं है। इसे पंजाब सरकार के हाथों में आना चाहिए।
सदन में भिड़ी आप और कांग्रेस, केंद्र रहा निशाने पर
पूरे सत्र में आप और कांग्रेस एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश करते रहे। आप विधायक जहां केंद्र और प्रधानमंत्री को घेरते दिखे, वहीं कांग्रेस ने राज्य सरकार पर लापरवाही और फंड के सही इस्तेमाल पर सवाल खड़े किए। नतीजा यह हुआ कि सत्र में बहस से ज्यादा वक्त हंगामे में ही बीता।