पंजाब अब तक 30 की मौत, लाखों प्रभावित, कर्मियों की छुट्टियां रद्द कीं
पंजाब में बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी हैं। मुख्य सचिव केएपी सिन्हा द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि हर विभाग के अधिकारी-कर्मचारी सातों दिन और चौबीसों घंटे ड्यूटी पर रहेंगे। किसी को भी अनुपस्थित रहने की छूट नहीं होगी। जिला उपायुक्तों को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2025 की धारा 34 के तहत विशेष अधिकार दिए गए हैं, ताकि राहत और बचाव कार्यों में कोई देरी न हो।
अब तक बाढ़ से 30 लोगों की मौत और चार लोगों के लापता होने की पुष्टि हुई है। साढ़े तीन लाख से अधिक लोग इस आपदा की चपेट में आ चुके हैं। भारी बारिश और नदियों के उफान ने कई गांव और कस्बों को जलमग्न कर दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया लगातार राहत कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं और प्रभावित परिवारों से मुलाकात भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री से बात कर हालात की जानकारी ली है। इसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पंजाब के लोगों को इस आपदा में अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। वे गुरुवार को पंजाब पहुंचकर स्थिति का जायजा लेंगे और केंद्र की ओर से हर संभव मदद मुहैया कराई जाएगी। पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन विभाग, पावरकॉर्प और टेलीकॉम कंपनियों को सेवाएं तत्काल बहाल करने का आदेश दिया गया है। वहीं पंचायत राज संस्थानों और शहरी निकायों को राहत पहुंचाने का दायित्व सौंपा गया है। सरकार का कहना है कि सबसे पहले स्थानीय निकाय ही प्रभावित परिवारों तक मदद पहुंचाएंगे और उन्हें प्रशासन का पूरा सहयोग मिलेगा।
किसानों पर दोहरी मार
राज्य सरकार ने माना है कि बाढ़ से लगभग 3.75 लाख एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो चुकी है, जिनमें से अधिकतर धान की खड़ी फसल थी। कटाई से पहले ही फसल बर्बाद होने से किसानों को बड़ा झटका लगा है। साथ ही पशुधन के नुकसान ने ग्रामीण परिवारों की रोज़मर्रा की आजीविका पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है। कृषि प्रधान राज्य होने के कारण पंजाब पर इस आपदा का आर्थिक असर लंबे समय तक बने रहने की आशंका है। सरकार ने केंद्र से विशेष राहत पैकेज की मांग की तैयारी शुरू कर दी है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले दिनों में भारी बारिश की संभावना बनी हुई है। अधिकारियों का कहना है कि यदि नदियों का जलस्तर और बढ़ा तो और अधिक गांव डूब सकते हैं। इसीलिए सरकार ने सभी विभागों को कड़ी निगरानी और तत्परता से काम करने के निर्देश दिए हैं।