PU Notification Dispute : पीयू विवाद पर सीएम मान का वार, कहा- भाजपा पंजाब पर कब्जा करना चाहती है...
PU Notification Dispute : केंद्र सरकार द्वारा पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) की सीनेट और सिंडिकेट के गठन और संरचना में बदलाव करने संबंधी अपनी अधिसूचना वापस लेने के मद्देनजर प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को आरोप लगाया कि भाजपा पंजाब से जुड़ी हर चीज पर ‘कब्जा' करना चाहती है। मान ने जोर देकर कहा कि राज्य अपने अधिकारों को कभी नहीं छोड़ेगा।
उनकी यह टिप्पणी केंद्र सरकार द्वारा 28 अक्टूबर की अपनी अधिसूचना वापस लेने के एक दिन बाद आई है, जिसमें विभिन्न राजनीतिक नेताओं और प्रदर्शनकारी छात्रों के बढ़ते दबाव के बाद पंजाब विश्वविद्यालय के शासी निकाय, सीनेट और सिंडिकेट के पुनर्गठन का प्रस्ताव था। पीयू से संबंधित केंद्र के फ़ैसले के बारे में एक सवाल के जवाब में मान ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय पंजाब की विरासत है और पंजाब सरकार इसके लिए धन मुहैया कराती है।
भाजपा पर निशाना साधते हुए मान ने केंद्र पर सीनेट और सिंडिकेट में अवैध रूप से घुसपैठ करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। विवाद तब पैदा हुआ जब आप, कांग्रेस और एसएडी ने 28 अक्टूबर की अधिसूचना के माध्यम से पीयू के शासी निकायों के पुनर्गठन के केंद्र के पहले के प्रस्ताव का विरोध किया। इस आदेश ने पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम, 1947 में संशोधन किया, जिससे सीनेट का आकार घटकर 31 हो गया और इसकी कार्यकारी संस्था, सिंडिकेट, के लिए चुनाव समाप्त हो गए।
हालांकि, शुक्रवार को शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट और सिंडिकेट के संविधान और संरचना में बदलाव की अधिसूचना रद्द कर दी गई है। मान ने बताया कि भाजपा ने पहले भी पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया था और उन्होंने भाजपा शासित हरियाणा की अंबाला, पंचकूला और यमुनानगर जैसे कई जिलों के कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध करने की मांग का हवाला दिया।
मान ने कहा कि मैंने उस मांग को पूरी तरह से खारिज कर दिया था। वास्तव में वे (पंजाब विश्वविद्यालय की) सीनेट में प्रवेश करना चाहते थे। भाजपा पंजाब से जुड़ी हर चीज़ पर कब्जा करना चाहती है।'' मान ने इस आलोक में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड का भी उदाहरण दिया। चाहे वह पीयू, बीबीएमबी या अन्य मुद्दों के लिए हमारी लड़ाई हो, पंजाब अपने अधिकारों को कभी नहीं छोड़ेगा। अगर कोई पार्टी ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों' (ईवीएम) पर सवाल उठाती है, तो निर्वाचन आयोग को चिंताओं की ‘अनदेखी' करने के बजाय जवाब देना चाहिए।
