पंजाब में कई जगह प्रदर्शन, केंद्र व राज्य सरकार के फूंके पुतले
कृषक संगठन किसान मजदूर मोर्चा ने बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए तत्काल मुआवजे की मांग को लेकर सोमवार को पंजाब में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया। किसान मजदूर मोर्चा ने पराली जलाने वाले किसानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार की भी आलोचना की और केंद्र सरकार तथा पंजाब सरकार के पुतले फूंके। किसान मज़दूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि कृषक राज्य में हाल ही में आई बाढ़ के दौरान हुए व्यापक नुकसान के लिए मुआवज़े की मांग कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार बाढ़ के दौरान धान की फसल को हुए नुकसान के लिए किसानों को कम से कम 70,000 रुपये प्रति एकड़ का भुगतान करे। अमृतसर में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पंधेर ने कहा, ‘इसका दस प्रतिशत खेतिहर मज़दूरों को दिया जाना चाहिए।'पंधेर ने पशुधन और पॉल्ट्री फार्म को हुए नुकसान के लिए भी 100 प्रतिशत मुआवज़ा दिए जाने की मांग की। प्रदर्शनकारी किसानों ने यह मांग भी की कि बाढ़ के कारण जिन लोगों के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें पूरा मुआवज़ा दिया जाए। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार गेहूं की फसल की बुवाई के लिए बीज और उर्वरक उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खेतों में जमा रेत और गाद हटाने के लिए किसानों को अधिक समय दिया जाना चाहिए। पंजाब को पिछले कुछ दशकों में सबसे भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा है जिसके मुख्य कारणों में सतलुज, व्यास और रावी नदियां में बाढ़ आना तथा हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा शामिल है।
पंधेर ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि पराली जलाने को लेकर किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही हैं, भूमि अभिलेखों में लाल प्रविष्टियां की जा रही हैं और जुर्माना लगाया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि ये सब बंद होना चाहिए। किसान नेता ने कहा कि राज्य सरकार को पराली प्रबंधन के लिए किसानों को 200 रुपये प्रति क्विंटल या 6,000 रुपये प्रति एकड़ राशि देनी चाहिए। पंधेर ने कहा कि अगर सरकार पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई बंद नहीं करती है, तो मोर्चा अपना आंदोलन तेज करेगा। किसान मज़दूर मोर्चा के आह्वान पर, भारती किसान यूनियन (एकता आज़ाद), बीकेयू (क्रांतिकारी), बीकेयू (दोआबा) और किसान मज़दूर हितकारी सभा सहित अन्य किसान संगठनों ने भी प्रदर्शन में भाग लिया।