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Excise Duty Dispute हाईकोर्ट में राजपुरा डिस्टिलरी की याचिका, एक्साइज ड्यूटी विवाद में पंजाब सरकार को नोटिस

डिस्टिलरी ने जब्त शराब बेचने की अनुमति मांगी
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सौरभ मलिक/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 12 जुलाई

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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने राजपुरा स्थित एनवी डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में 2020 की एक जांच के दौरान 22,936 पेटियों की इंडियन मेड फॉरेन लिकर (IMFL) को कथित रूप से बिना रिकॉर्ड पाए जाने पर लगाए गए करोड़ों रुपये के एक्साइज ड्यूटी के नोटिस को चुनौती दी गई है।

डिस्टिलरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन जैन ने जस्टिस लीसा गिल और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ के समक्ष तर्क दिया कि यह मांग 1932 के पंजाब एक्साइज फिस्कल ऑर्डर्स के आदेश 1-AAA और लिकर लाइसेंस नियमावली के नियम 37 के अनुचित प्रयोग पर आधारित है, जो डिस्टिलरियों पर लागू नहीं होते और पंजाब डिस्टिलरी रूल्स के विपरीत हैं।

जैन ने 1932 के पंजाब डिस्टिलरी नियमों के नियम 122-डी का हवाला देते हुए कहा कि डिस्टिलरी को पिछले वर्ष के उत्पादन का 10 प्रतिशत या 10,000 पेटी (जो अधिक हो) बिना परमिट के अग्रिम उत्पादन की अनुमति होती है। 2019-20 में एनवी डिस्टिलरी ने 10,97,565 पेटी का उत्पादन किया था, इसलिए उसे 1,09,756 पेटी तक अग्रिम उत्पादन की अनुमति थी, जो विवादित 22,936 पेटियों से कहीं अधिक है।

डिस्टिलरी पर एक्साइज और टैक्सेशन कमिश्नर द्वारा 10% और वित्त आयुक्त (कराधान) द्वारा अतिरिक्त 15% ड्यूटी जबरन वसूली के रूप में लगाई गई, जिसे अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के विरुद्ध और लाइसेंस निलंबन की धमकी के तहत लिया गया "दबाव" करार दिया।

उन्होंने यह भी बताया कि ये 22,936 पेटियां 2020-21 से ही सील की गई अवस्था में डिस्टिलरी परिसर में पड़ी हैं। डिस्टिलरी ने कोर्ट से अपील की है कि इन्हें बाजार में बेचने की अनुमति दी जाए, जिससे बिक्री के बाद आवश्यक एक्साइज ड्यूटी अदा की जा सके।

याचिका में डिस्टिलरी के आर्थिक संकट, स्टॉक की गुणवत्ता में गिरावट और वहां काम कर रहे 500 से अधिक परिवारों की आजीविका पर पड़े असर को भी उजागर किया गया है। डिस्टिलरी अमेरिका और यूएई जैसे देशों में शराब का निर्यात भी करती है। अदालत में अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।

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