चंडीगढ़, 11 नवंबर (भाषा)
पंजाब विधानसभा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने संबंधी केंद्र की अधिसूचना के खिलाफ बृहस्पतिवार को एक प्रस्ताव पारित कर इसे राज्य पुलिस का ‘अपमान’ बताया और इसे वापस लेने की मांग की। राज्य विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केवल दो सदस्यों की अनुपस्थिति में सर्वसम्मति से केंद्र के आदेश को ‘खारिज’ करने का प्रस्ताव आम सहमति से पारित किया गया। केंद्र सरकार ने पिछले महीने सीमा सुरक्षा बल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से मौजूदा 15 किलोमीटर से बढ़ाते हुए 50 किलोमीटर के दायरे में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी करने के लिए अधिकृत करने के वास्ते बीएसएफ अधिनियम में संशोधन किया था। पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने प्रस्ताव पेश किया। इसमें कहा गया है, ‘पंजाब शहीदों की भूमि है…उन्होंने हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम में अनुकरणीय बलिदान दिए हैं।’ प्रस्ताव में कहा गया है, ‘पंजाब पुलिस देशभक्ति का एक अनूठा बल है जिसने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में बहुत योगदान दिया है। भारत के संविधान के अनुसार, कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और इस उद्देश्य के लिए, पंजाब सरकार पूरी तरह से सक्षम है।’ इसमें कहा गया है, ‘केंद्र सरकार द्वारा बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर करने का निर्णय राज्य पुलिस और पंजाब के लोगों के प्रति अविश्वास की अभिव्यक्ति है। यह उनका अपमान भी है।’ इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को इतना बड़ा फैसला लेने से पहले राज्य से परामर्श करना चाहिए था। इसमें कहा गया है कि पंजाब में कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। प्रस्ताव में कहा गया है, ‘पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के फैसले की निंदा की है और मांग की है कि केंद्र सरकार को गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 11.10.2021 की तिथि में जारी अधिसूचना को वापस लेना चाहिए।’ रंधावा ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने संबंधी केंद्र की अधिसूचना को ‘संघीय ढांचे पर हमला’ करार दिया। उन्होंने कहा कि सदन के सदस्यों को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलना चाहिए। अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने सदन में कहा कि राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को यह निर्णय लेना चाहिए कि पंजाब पुलिस बीएसएफ के साथ 15 किलोमीटर के आगे के क्षेत्र में सहयोग नहीं करेगी। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों का समर्थन मांगते हुए कहा कि यह एक संयुक्त लड़ाई है।
सीएम चन्नी की टिप्पणी को लेकर हंगामा
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की तीखी टिप्पणी के बाद पंजाब विधानसभा में हंगामा हुआ जिस कारण अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी। कांग्रेस और शिअद के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई और विपक्षी दल के विधायक सदन में अध्यक्ष के आसन के करीब पहुंच गये। कुछ विधायकों ने हस्तक्षेप कर दोनों दलों के विधायकों को हंगामा करने से रोका। बाद में अध्यक्ष द्वारा चन्नी की टिप्पणियों को कार्यवाही से हटा दिया गया। मुख्यमंत्री ने केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पर अपनी बात रखते हुए टिप्पणी की थी। इन कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर किसान पिछले लगभग एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मजीठिया ने इससे पहले इस मुद्दे पर कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष और विधायक नवजोत सिंह सिद्धू के भाषण को बार-बार बाधित किया था। शिअद के सदस्यों द्वारा मुख्यमंत्री की टिप्पणी का विरोध किए जाने के बाद जैसे ही स्थिति बिगड़ी, अध्यक्ष राणा के पी सिंह ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही फिर से शुरू होने के बाद, अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को 10 मिनट के लिए और बाद में तीसरी बार 30 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।
अमरेंद्र ने किया प्रस्ताव का विरोध
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने के केंद्र के कदम के खिलाफ राज्य की विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के फैसले से राज्य के अधिकार का उल्लंघन नहीं होता। सिंह ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि बीएसएफ को पड़ोसी देश पाकिस्तान से लगी 30 किमी तक की सीमा पर परिष्कृत तकनीक और ड्रोन का उपयोग करते हुए अधिक परिचालन अधिकार प्राप्त हों। उन्होंने यहां एक बयान में कहा, ‘पंजाब पुलिस की तरह बीएसएफ हमारी ताकत है। यह कोई बाहरी या विदेशी बल नहीं है, जो हमारी जमीन पर कब्जा करने के लिए आ रहा है।’ अमरेंद्र सिंह ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा, ‘बीएसएफ का संचालन क्षेत्राधिकार राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है, न कि राज्य में कानून-व्यवस्था से, जिसे पंजाब की मौजूदा सरकार स्पष्ट रूप से समझने में सक्षम नहीं है।’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को ‘छोटे पक्षपातपूर्ण उद्देश्यों और मंसूबों’ के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए।