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पंजाब में सिर्फ एक युवा को बेरोजगारी भत्ता

46 साल पुराने नियमों में फंसी सवा लाख बेरोजगारों की पात्रता
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अमृतसर के लाल बहादुर शास्त्री पंजाब के एकमात्र बेरोजगार हैं, जिन्हें सरकारी खजाने से ‘बेरोजगारी भत्ता’ मिल रहा है। क्या पंजाब में बेरोजगारी खत्म हो गई है? बेरोजगारी भत्ता पाने वालों के आंकड़ों से इस सवाल का जवाब ‘हां’ लगता है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। शास्त्री को 150 रुपये प्रति माह बेरोजगारी भत्ता मिल रहा है। इससे पहले, मोगा जिले के डगरू गांव के युवक संदीप सिंह को भत्ता मिल रहा था, लेकिन पांच साल पहले पता चला कि वह नियमों को पूरा नहीं करता, जिसके कारण भत्ता बंद हो गया।

कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने वादा किया था कि बेरोजगारी भत्ते की राशि बढ़ाकर 2500 रुपये कर दी जाएगी। बाद में, न तो भत्ते की राशि बढ़ी और न ही भत्ता पाने वालों की संख्या। कांग्रेस सरकार ने ‘घर-घर रोजगार’ का राग अलापा।

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पंजाब के रोजगार कार्यालयों में इस समय सवा लाख बेरोजगारों का ब्योरा दर्ज है, लेकिन इनमें से कोई भी बेरोजगारी भत्ता पाने का हकदार नहीं है। पंजाब सरकार ने 11 जनवरी, 1979 को नियम बनाए थे, जिनमें किसी भी सरकार ने संशोधन की जरूरत नहीं समझी।

पुराने नियमों के अनुसार, केवल वही व्यक्ति बेरोजगारी भत्ता प्राप्त कर सकता है, जो तीन वर्षों से रोजगार कार्यालय में पंजीकृत हो और जिसके परिवार की आय एक हजार रुपये प्रति माह से अधिक न हो। यानी बेरोजगार व्यक्ति के परिवार की दैनिक आय 33 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। विवरण के अनुसार, वर्ष 2006-07 में राज्य में 4803 को बेरोजगारी भत्ता मिल रहा था, जिनकी संख्या वर्ष 2010-11 में 1808, वर्ष 2013-14 में 309 और 2016-17 में 134 थी। इसके बाद बेरोजगारों की संख्या में लगातार कमी आती गई। वर्ष 2019-20 में बेरोजगारी भत्ता पाने वालों की संख्या 42 और 2022-23 में शून्य हो गई।

22.12 लाख युवा नौकरी की कतार में

पंजाब सरकार के पोर्टल के अनुसार, 22.12 लाख युवा नौकरी पाने की कतार में हैं। बेरोजगार युवा पिछले बीस साल से हर मुख्यमंत्री के घर के सामने धरना दे रहे हैं और सभाएं कर चुके हैं, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं दी गई। नौकरी तो दूर, इन युवाओं को बेरोजगारी भत्ता भी नहीं मिल रहा है।

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