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पठानकोट में घटी बेटियां, लिंगानुपात 864 पहुंचा

दीपकमल कौर/ट्रिन्यू जालंधर, 9 जनवरी पंजाब में नागरिक पंजीकरण प्रणाली से उपलब्ध नवीनतम लिंगानुपात के आंकड़ों ने पठानकोट और गुरदासपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में चिंता बढ़ा दी है। इसके अनुसार, पठानकोट में एक साल में लिंगानुपात काफी कम हो गया...

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दीपकमल कौर/ट्रिन्यू

जालंधर, 9 जनवरी

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पंजाब में नागरिक पंजीकरण प्रणाली से उपलब्ध नवीनतम लिंगानुपात के आंकड़ों ने पठानकोट और गुरदासपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में चिंता बढ़ा दी है। इसके अनुसार, पठानकोट में एक साल में लिंगानुपात काफी कम हो गया है। यह 2023 में 902 से घटकर 2024 में 864 रह गया। सरल शब्दों में कहें तो पिछले साल जिले में 1,000 लड़कों के मुकाबले 864 लड़कियां पैदा हुईं। गुरदासपुर में लिंगानुपात 888। हालांकि, 2023 की तुलना में यह तीन अंक बेहतर है। पंजाब में कुल लिंगानुपात 2024 में 918 था, जिसमें अब सिर्फ दो अंकों का सुधार आया है।

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987 लिंगानुपात के साथ कपूरथला एक बार फिर प्रदेश में शीर्ष पर रहा। हालांकि, 2023 में यह अनुपात 992 से 5 अंक कम हुआ है। यहां तक ​​कि मुस्लिम बहुल जिला मलेरकोटला भी 961 के लिंगानुपात के साथ दूसरे स्थान पर बना रहा और इसमें 39 अंकों का उल्लेखनीय सुधार हुआ। पांच जिलों में लिंगानुपात 900 से नीचे है। तरनतारन में लिंगानुपात 897, मनसा में 893, बरनाला में 888, गुरदासपुर में 888 और पठानकोट में 864 रहा।

सीमावर्ती इलाकों के विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि 0-1 आयु वर्ग में लिंगानुपात बहुत कम है। सिविल सर्जन भारत भूषण इसका कारण कन्या भ्रूण हत्या को मानते हैं। उन्होंने कहा कि जब पीएनडीटी एक्ट आया तो लगा कि लिंगानुपात में काफी सुधार होगा। लेकिन, सीमावर्ती इलाकों में साक्षरता दर बेहद कम होने के कारण स्थिति में बहुत बदलाव नहीं आया। गुरदासपुर और पठानकोट की सीमा जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से लगती है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब भ्रूण हत्या के लिए महिलाओं को इन राज्यों में ले जाया गया। हाल ही में हमारी टीम ने कठुआ में छापा मारा और कुछ लोगों को पकड़ा।

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