Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

अब प्रदूषित मिट्टी में भी उगेगी शुद्ध सरसों

पंजाबी विश्वविद्यालय की नयी खोज

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement
पंजाबी विश्वविद्यालय के शोध के माध्यम से सरसों या कैनोला की एक किस्म को प्रदूषित मिट्टी में उगाने की विधि विकसित की गई है। विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग की प्रमुख प्रो. गीतिका सरहिंदी के नेतृत्व में शोधार्थी डॉ. गुरविंदर कौर द्वारा यह शोध किया गया है। शोध के परिणाम अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में आयोजित इंटरनेशनल रिसर्च कॉन्फ्रेंस में भी प्रस्तुत किए गए हैं। अध्ययन के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से आर्थिक सहायता भी प्राप्त हुई है।

प्रो. गीतिका ने बताया किया उन्होंने इसके लिए पौधों में पाए जाने वाले एक विशेष हार्मोन और एक फंगस का प्रयोग किया। उन्होंने बताया कि 28-होमोब्रैसिनोलाइड (28-HBL) नामक यह हार्मोन पौधों को कैडमियम प्रदूषण से होने वाले तनाव से निपटने में मदद करता है। पिरिफॉर्मोस्पोरा इंडिका नामक एक लाभकारी फंगस का भी उपयोग किया गया, जो पौधे की जड़ों में रहता है और उसके विकास व फूलने में सहायता करता है। उन्होंने बताया कि अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि ये दोनों तत्व मिलकर पौधे को जहरीले कैडमियम के प्रभाव से बचाते हैं। ये जड़ में ही कैडमियम को रोक लेते हैं, जिससे वह पौधे के खाने योग्य हिस्सों तक न पहुंच सकें।

Advertisement

शोधार्थी डॉ. गुरविंदर कौर ने बताया कि कैडमियम मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। इस विधि के प्रयोग से कैडमियम का प्रभाव केवल जड़ों तक ही सीमित रहता है। चूंकि सरसों की जड़ें न तो मनुष्यों द्वारा खाई जाती हैं और न ही पशुओं के चारे के रूप में उपयोग होती हैं, इसलिए यह विधि सुरक्षित है।

Advertisement

उपकुलपति डॉ. जगदीप सिंह ने शोध की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि रसायन-मुक्त कृषि के बढ़ते महत्व के इस दौर में ऐसे शोधों की विशेष प्रासंगिकता है। उन्होंने इस दिशा में और अधिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की बात कही।

Advertisement
×