अमृतसर, 6 जुलाई (ट्रिन्यू)
तख्त पटना साहिब के तीन लोगों को ‘तनखाहिया’ (धार्मिक दुराचार का दोषी) घोषित करने के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। बिहार स्थित तख्त ने उसके (अकाल तख्त के आदेश) को अमान्य घोषित कर दिया है।
बिहार स्थित तख्त के पंज प्यारों ने कल देर रात जारी आदेश में कहा कि चूंकि अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार कुलदीप सिंह गर्गज और तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी टेक सिंह को तख्त पटना साहिब ने पहले ही तनखाहिया घोषित कर दिया है, इसलिए उन्हें इस बारे में फैसला लेने का धार्मिक और संवैधानिक अधिकार नहीं है। उन्होंने सर्वसम्मति से अकाल तख्त के आदेश को खारिज कर दिया और अपने सभी पदाधिकारियों, सदस्यों और पंज प्यारों के दो सदस्यों को अकाल तख्त के समक्ष पेश न होने का सख्त निर्देश दिया। आदेश में कहा गया है कि अगर कोई तख्त पटना के आदेश का उल्लंघन करता है तो उसे तनखाहिया माना जाएगा और पंथिक परंपरा के अनुसार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
तख्त पटना साहिब के प्रवक्ता सुदीप सिंह ने कहा कि वे सिख धर्म की सभी संस्थाओं में अकाल तख्त को सर्वोच्च मानते हैं।
हालांकि, आदेश जारी करने की एक निर्धारित प्रक्रिया है और सभी पांचों तख्तों के जत्थेदारों की भागीदारी से कोरम पूरा होता है।