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नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री, किसी एक पार्टी की धरोहर नहीं : डॉ. राजेश शर्मा

विरोधियों को दी चुनौती, बोले: मिलकर करें द विजनरी का प्रचार
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हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की विचारधारा को दर्शाती पुस्तक ‘द विजनरी’ प्रदेश की राजनीति में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। विपक्ष की आलोचनाओं के बीच हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. राजेश शर्मा सामने आए और उन्होंने विपक्ष को बोर्ड कार्यालय में आमंत्रित करते हुए कहा कि वे स्वयं पुस्तक का अध्ययन करें और उसके उद्देश्य को समझें।

डॉ. राजेश ने स्पष्ट कहा कि पंडित नेहरू केवल कांग्रेस के नहीं, बल्कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे, इसलिए उनकी नीतियों का प्रचार किसी एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि सभी दलों की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने विपक्ष से अपील की कि राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर युवाओं तक नेहरू के विचार पहुंचाएं।

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उन्होंने बताया कि ‘द विजनरी’ को युवा पीढ़ी से जोड़ने के दो प्रमुख उद्देश्य हैं—

  1. मोबाइल और नशे के बढ़ते आकर्षण से युवाओं को दूर करना

  2. उन्हें दोबारा पढ़ने की आदत से जोड़ना

डॉ. राजेश ने कहा कि यदि विपक्ष वास्तव में युवाओं को नशे, विशेषकर चिट्टा, से बचाना चाहता है तो इस पुस्तक का विरोध नहीं, बल्कि उसका समर्थन करना चाहिए।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुस्तक की सामग्री जवाहरलाल नेहरू फाउंडेशन की अनुमति से और शिक्षा बोर्ड के कॉपीराइट के तहत प्रकाशित की गई है। इसका मूल्य ₹50 रखा गया है, जिससे बोर्ड की आय भी बढ़ेगी। यदि विपक्ष चाहता है कि पुस्तक में देश के शिक्षा मंत्री का संदेश भी जोड़ा जाए, तो बोर्ड इसके लिए तैयार है।

अंत में उन्होंने विपक्ष को धर्मशाला स्थित बोर्ड कार्यालय आकर पुस्तक पढ़ने और इसके सकारात्मक प्रचार में सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रयास युवाओं को सही दिशा देने और उन्हें नशे के खतरे से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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डॉ. राजेश शर्मा
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