रवि पाठक/निस
कपूरथला, 6 मार्च
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का आज एक और विमान 210 भारतीयों को लेकर दिल्ली पहुंचा जिसमें स्वदेश पहुंची कपूरथला की नवी अग्रवाल ने बताया कि वह पिछले 4 दिनों से रोमानिया बॉर्डर पर थी। नवी अग्रवाल के पिता प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि नवी युद्ध के कारण बेहद गंभीर हालातों में रहने के बाद 12 किलोमीटर तक पैदल चलते हुए रोमानिया बॉर्डर पर 2 मार्च को पहुंच गई थी। आज सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंच गई है। नवी के पिता प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि नवी ने युद्ध के कारण बेसमेंट में कई दिन गुजारे और फिर अपने सहपाठियों के साथ एक टैक्सी लेकर रोमानिया बॉर्डर की तरफ आई। इस दौरान नवी और उसके साथियों को 12 किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ा। प्रदीप अग्रवाल ने यह भी बताया कि रोमानिया बॉर्डर पर पहुंचकर बच्चों ने राहत की सांस ली, वहां पर रहने और खाने-पीने की उचित व्यवस्था मिली। यूक्रेन की विभिन्न यूनिवर्सिटी में अभी भी जिले के 33 विद्यार्थी फंसे हैं। यूक्रेन में जिले के कुल 46 विद्यार्थी थे जिनमें 13 अपने घरों को वापस लौट चुके हैं। हालांकि पोलैंड की तरफ से भारतीय विद्यार्थियों को मौके पर ही 10 दिनों का वीजा देकर अपने देश में एंट्री दी जा रही है। विद्यार्थियों के खाने-पीने की व्यवस्था के लिए पोलैंड में भारतीय दूतावास के अधिकारी रात-दिन डटे हुए है।
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पहले जिले के 27 विद्यार्थियों के नाम सामने आए थे जो खारकीव व अन्य शहरों की मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस करने गए हुए थे। चार मार्च के बाद 19 और विद्यार्थियों के नाम सामने आए है जिनके परिजनों ने भारतीय दूतावास से संपर्क कर अपने बच्चों की घर वापसी की गुहार लगाई है। करनवीर सिंह, गुरमुख, सिंह त्रिपती, पारुल पाल, मट्टू डैनिस, मनमीत कुमार सिद्धू, हरमिंदर सिंह, जतिंदरपाल सिंह, नवजोत सिंह, चंदनदीप सिंह, हरजोत सिंह, नवजोत सिंह, हरप्रीत सिंह, जतिन कुमार राणा, नवदीप कौर शामिल है लेकिन इनमें नवदीप कौर, हरप्रीत सिंह, चंदनदीप सिंह, पारुल पाल, गुरमुख सिंह, तनीशा, करनवीर सिंह, वाही रजत, रोहिल शर्मा, साफिया अग्रवाल, रिद्धी अग्रवाल एवं रुचिका दराओ वापस आ चुके है।
दहशत अभी बरकरार
गांव दूलोवाल अपनी मां गुरमीत कौर के पास पहुंची अमनजोत कौर का कहना है कि वह खारकीव मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ती है। वह वहां पर हमले तेज होने से कुछ समय पहले निकल आई थी। उन्होंने पहले टैक्सी से कुछ सफर तय किया और फिर ट्रेन में पोलैंड के लिए चल पड़े। 16 घंटे का सफर उनकी ट्रेन ने करीब 35 घंटे में पूरा किया। इस दौरान उनके पास खाने-पीने के नाम पर कुछ नही था लेकिन यह गनीमत थी कि वह किसी तरह पोलैंड के बार्डर पर पहुंच गए। इस दौरान पोलैंड की इमीग्रेशन के अधिकारियों ने उन्हें दस दिन का वीजा दे दिया। मौके पर भारतीय दूतावास के मुलाजिम भी उपस्थित थे जो उन्हें पास ही भारतीय कैंप में ले गए। यहां पर खाने-पीने की व्यवस्था थी। इसके बाद उनकी फ्लाइट हुई और वह अमृतसर एयरपोर्ट पर पहुंच गए। अमनजोत कौर ने बताया कि बेशक वह अपने घर पहुंच गए है लेकिन अभी भी उनके दिमाग से युद्ध की दहशत नहीं निकली है।