चंडीगढ़, 16 अप्रैल (एजेंसी)
पुलिस महानिरीक्षक कुंवर विजय प्रताप सिंह ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह को उनका इस्तीफा स्वीकार करने के लिए मना लिया है। पुलिस द्वारा गोलियां चलाए जाने के 2015 के दो मामलों में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा कथित तौर पर उनकी जांच रिपोर्ट को अमान्य ठहराने के बाद आईपीएस अधिकारी ने इस्तीफा दिया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दोनों मामलों की जांच रिपोर्ट कथित तौर पर अमान्य ठहराये जाने के बाद अधिकारी द्वारा समय से पहले दिए गए इस्तीफे को स्वीकार करने से मुख्यमंत्री ने मंगलवार को इनकार कर दिया था। सिंह के सेवानिवृत्त होने में अभी करीब आठ साल का समय बाकी है। गुरु ग्रंथ साहिब की कथित बेअदबी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर फरीदकोट के कोटकपुरा और बहबल कलां में 2015 में पुलिस कार्रवाई की जांच करने वाले पंजाब पुलिस के विशेष जांच दल का सिंह नेतृत्व कर रहे थे। बहबल कलां में पुलिस की गोलीबारी में दो लोग मारे गए थे। राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर के साथ निजी बैठक के लिए जाने से पहले आईपीएस अधिकारी पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह निजी तौर पर राज्यपाल से मिलने जा रहे हैं, पुलिस अधिकारी के रूप में नहीं। उन्होंने कहा, ‘मैं राज्यपाल से निजी हैसियत से मिलने आया हूं। मैं हर महीने राज्यपाल से निजी तौर पर मिलने आता हूं, आईपीएस अधिकारी के रूप में नहीं।’ अपने इस्तीफे के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘मैं मुख्यमंत्री से मिला। उन्होंने मुझे समझाने की कोशिश की, लेकिन मैंने उन्हें समझाया और वह मान गए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि सेवा से बाहर होने के बावजूद मैं इस मामले में जरूरत पड़ने पर सरकार की अपनी तरफ से पूरी मदद करुंगा।’ विपक्ष के कुछ नेताओं की 2015 के मामले में एसआईटी की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग पर आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘यह पहले से ही सार्वजनिक है। अदालत में चालान पेश किया गया, वह सार्वजनिक दस्तावेज है। जो इसे सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।’ बतौर आईपीएस अधिकारी तो नहीं, लेकिन अन्य तरीकों से समाज की सेवा करते रहने से संबंधित उनके फेसबुक पोस्ट के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘इस बारे में बात करने का यह (राजभवन के बाहर) उचित स्थान नहीं है।’ खबरों के अनुसार, हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार से कहा कि वह सिंह के बगैर एसआईटी का गठन करे। राज्य सरकार द्वारा इससे पहले जारी बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने आईपीएस अधिकारी की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी स्वीकार करने से मना कर दिया था।