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खुशवंत सिंह लिट फेस्ट : कश्मीर में अब भी शांति नहीं , भारत-पाक संवाद ही समाधान

– स्पाई क्रानिकल्स पर पूर्व रॉ प्रमुख और ज्योति मल्होत्रा की गहन चर्चा
सोलन के कसौली क्लब में चल रहे खुशवंत सिंह लिट फेस्ट के दूसरे दिन स्पाई क्रानिकल्स पर केंद्रित एक सत्र में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और वरिष्ठ पत्रकार हरिंद्र बवेजा।-निस
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कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह लिट फेस्ट के दूसरे दिन पूर्व रॉ प्रमुख ए.एस. दुलत और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, के बीच “स्पाई क्रानिकल्स” विषय पर हुई चर्चा ने कश्मीर और भारत-पाक संबंधों के जटिल पहलुओं को एक बार फिर उजागर किया। दुलत ने साफ कहा कि कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद भी स्थायी शांति नहीं हो सकी है और इस मुद्दे से निपटने के लिए स्पष्ट, रणनीतिक नीति का अभाव है।

खुशवंत सिंह लिट फेस्ट में बोले -पूर्व रॉ चीफ

दुलत ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में कोई ‘क्लीयर कट’ नीति नहीं है, जिससे यह क्षेत्र की जटिलताओं को संभालना मुश्किल हो रहा है।" उन्होंने आगे बताया कि शांति बहाली के लिए केवल सुरक्षा उपाय ही पर्याप्त नहीं, बल्कि राजनीतिक और मानवीय दृष्टिकोण से भी समस्या को समझना जरूरी है। उन्होंने कश्मीर की राजनीति में अबदुल्ला परिवार की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि आज भी हर 50 फीट पर भारी पुलिस सुरक्षा क्यों है, यह सवाल शांति की अनुपस्थिति को दर्शाता है।

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पूर्व रॉ प्रमुख ने भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद को शांति की राह बताया और जोर दिया कि दोनों देशों को बातचीत से दूर नहीं भागना चाहिए। "जब तक संवाद जारी रहेगा, उम्मीद बनी रहेगी," दुलत ने कहा। उन्होंने स्पाई क्रानिकल्स को भारत-पाक रिश्तों की समझ बनाने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बताया, जिसमें पारदर्शिता और संवाद के महत्व को रेखांकित किया गया है।

द ट्रिब्यून की प्रधान संपादक ज्योति मल्होत्रा ने इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि इस किताब में जासूसी के पीछे छिपे राजनीतिक और सामाजिक संदर्भों को समझने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा, “यह केवल जासूसी की कहानी नहीं, बल्कि भारत-पाक संबंधों को बेहतर बनाने का एक माध्यम है।”

इसी अवसर पर पूर्व गृह मंत्री पी. चितंबरम और वरिष्ठ पत्रकार हरिंद्र बवेजा ने भी फायर एंड कॉनफ्लिक्ट सत्र में पंजाब, जम्मू-कश्मीर, अयोध्या और कारगिल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि सरकारी नीतियों का आम जनमानस के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

ऑपरेशन सिंदूर में धर्मयुद्ध के सिद्धांतों का पालन

खुशवंत सिंह लिट फेस्ट के साथ ही सोलन के राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल (आरएमएस), चायल में शताब्दी समारोह भी आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना ने धर्मयुद्ध के सिद्धांतों का पालन किया और केवल आतंकवादी ठिकानों पर प्रहार किया, जबकि नागरिक और सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया गया।

जनरल द्विवेदी ने आरएमएस चायल की एक शताब्दी पूर्ण होने पर इसे अनुशासन, नेतृत्व और जिम्मेदारी का प्रतीक बताया। समारोह में सेंटेनरी गेट का उद्घाटन हुआ और एक विशेष डाक कवर तथा "द सेंचेनियल क्रॉनिकल" का विमोचन भी किया गया। उन्होंने कैडेट्स को अपने विद्यालय की विरासत को आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी।

इस अवसर पर सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। समारोह में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

तीन दिवसीय खुशवंत सिंह लिट फेस्ट संपन्न

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