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पाक तस्करों के लिए बड़ा मददगार बना जुवेनाइल एक्ट

भारत में नशे की तस्करी के लिए नाबालिगों की धड़ल्ले से भर्ती

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पाकिस्तान से पंजाब में नशा और हथियार भेजने के लिए बॉर्डर पार के प्रोत्साहक तेज़ी से नाबालिगों की भर्ती कर रहे हैं, उनकी कमज़ोरी और उन कानूनी नियमों का फायदा उठा रहे हैं जो नाबालिगों को कड़ी सज़ा से बचाते हैं।

सीनियर पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि हाल ही में ड्रग्स और एडवांस्ड हथियारों की खेप ज़ब्त करने के दौरान, कई ऑपरेशन में नाबालिगों को गिरफ्तार किया गया था।

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उन्होंने बताया कि नाबालिगों की

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भर्ती पाकिस्तान के हैंडलर्स और उनके लोकल नेटवर्क की एक सोची-समझी चाल बन गई है।

अमृतसर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा, ‘प्रोत्साहक जानते हैं कि नाबालिगों को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत कड़ी सज़ा नहीं दी जा सकती। वे उन्हें फंसाने के लिए गरीबी, साथियों के दबाव और नशे की लत का इस्तेमाल करते हैं।’ 1 नवंबर को, पुलिस ने एक ट्रांस-बॉर्डर ड्रग रैकेट का भंडाफोड़ किया, जिसमें पाकिस्तान से तस्करी कर लाई गई 15 पिस्तौलों के साथ एक नाबालिग समेत सात लोगों को पकड़ा गया। इससे पहले, 2 अक्तूबर को पुलिस ने पड़ोसी देश से तस्करी करके लाई गई 12 पिस्तौलें ज़ब्त की थीं और पांच लोगों में से एक नाबालिग को गिरफ्तार किया था। इसी तरह, जुलाई में एक नाबालिग और तीन अन्य लोगों को पकड़ा गया और 6.1 किलोग्राम हेरोइन ज़ब्त की गई। मार्च में, फिरोजपुर पुलिस ने चार किलोग्राम से ज़्यादा हेरोइन के साथ एक नाबालिग को पकड़ा था।

पिछले कुछ महीनों में कई इंटेलिजेंस ऑपरेशन में, पुलिस ने अक्सर हेरोइन के पैकेट और पिस्तौल ले जाते हुए किशोरों को पकड़ा है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि हालांकि, ड्रग्स की तस्करी के लिए गिरफ्तार किए गए किशोरों की संख्या के बारे में कोई खास डेटा नहीं है, लेकिन मोटे तौर पर यह संख्या 15 से 20 बताई गई है।

कई लोग अंधेरे में ड्रोन से गिराई गई खेप के लिए पिकअप एजेंट के तौर पर काम करते थे। एक काउंटर-इंटेलिजेंस ऑफिसर ने कहा, ‘उन्हें अक्सर कुछ हज़ार रुपये, एक नया फ़ोन या फ़्री ड्रग्स देने का वादा किया जाता है — और वे नतीजों को समझे बिना रिस्क ले लेते हैं।’

बॉर्डर क्षेत्र के गरीब, बेरोजगारों काे बनाते हैं निशाना

अफ़सरों का कहना है कि हैंडलर अमृतसर, तरनतारन, फिरोज़पुर और फ़ाज़िल्का ज़िलों वाले बॉर्डर इलाके में गरीबी और बेरोज़गारी से जूझ रहे परिवारों से नाबालिगों को भर्ती करते हैं। बॉर्डर के पास के पूरे गांव ऐसे भर्ती नेटवर्क का टारगेट बन गए हैं।

एक सीनियर बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि यह परेशान करने वाला ट्रेंड हाल ही में सामने आया है। जांच में पता चला कि क्रॉस-बॉर्डर तस्करों के पाकिस्तान-बेस्ड हैंडलर उनसे पुलिस की जांच से बचने के लिए बिना किसी पिछले क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले नाबालिगों को भर्ती करने के लिए कह रहे थे। उन्होंने कहा कि पब्लिक मीटिंग के दौरान वे बॉर्डर के गांवों में लोकल युवाओं से संपर्क करने वाले अजनबियों के अलावा नियमित तौर पर लोगों से कुख्यात और संदिग्ध लोगों के बारे में अलर्ट रहने के लिए कहते हैं।

डीआईजी (बॉर्डर रेंज) संदीप गोयल ने कहा, ‘क्रॉस-बॉर्डर नेटवर्क बच्चों को टारगेट कर रहे हैं। इस चक्र को तोड़ने के लिए परिवारों, समुदायों और राज्य को सतर्क रहना होगा।’

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