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भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी : विशेषज्ञ

मिलिटरी लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन शनिवार को विशेषज्ञों ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर अस्थिर भू-राजनीतिक स्थिति भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डाल रही है, इसलिए भारत को न...
चंडीगढ़ में शनिवार को मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल बीएस नागल (मध्य), बी. कर्नाड और मनोज जोशी। -फोटो : रवि कुमार
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मिलिटरी लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन शनिवार को विशेषज्ञों ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर अस्थिर भू-राजनीतिक स्थिति भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डाल रही है, इसलिए भारत को न केवल अपनी क्षमता का विस्तार करना होगा, बल्कि स्किल वर्कफोर्स तैयार करने और कठिन गठबंधनों व प्रतिबंधों के बीच रणनीतिक संतुलन साधने के लिए भू-राजनीतिक लाभ भी विकसित करने होंगे।दुनिया भर के विकसित देशों द्वारा अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संसाधनों के शस्त्रीकरण की ओर इशारा करते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि यूक्रेन और मध्य पूर्व में चल रहे युद्ध, ईरान में परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमले, तेल की सुरक्षा की पृष्ठभूमि में हो रहे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बाद वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता भारत के पास समय की कमी है और हमें रूसी तेल पर पूरी तरह निर्भरता से बचने के लिए शीघ्रता से कार्य करना चाहिए। ट्रिब्यून मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल का मीडिया स्पॉन्सर है।

रक्षा खुफिया एजेंसी के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद जी खंडारे ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत को आज ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए अंतरिक्ष आधारित समाधान तलाशने चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन, सुनिश्चित ईंधन आपूर्ति और भंडारण, क्षमता निर्माण और हरित ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत महत्वपूर्ण हैं।

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रक्षा पत्रकार राहुल बेदी ने कहा कि ऊर्जा आज हर राजनीतिक अभियान के पीछे एक अदृश्य शक्ति है और भारत को रणनीतिक भंडार का विस्तार करने, ऐसे लचीले आपूर्ति नेटवर्क बनाने की ज़रूरत है जो किसी भी प्रकार के विदेशी प्रतिबंधों का सामना कर सकें। इसके साथ ही अपनी रिफाइनरियों को उन्नत करने की आवश्यकता है।

रक्षा विश्लेषक ब्रिगेडियर अरुण सहगल ने कहा कि आज दुनिया युद्धों से जूझ रही है, ऐसे में हर देश को ऊर्जा स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना होगा। उन्होंने आगाह किया कि अगले 30 दिनों में तेल की कीमतों में लगभग 8 से 10 डॉलर की वृद्धि होगी।

आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत की समुद्री क्षमता को विकसित करने के महत्व पर जोर देते हुए पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने कहा कि नौसेना ही एकमात्र ऐसी ताकत है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख विरोधियों पर बढ़त बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि अगर दो मोर्चों या ढाई मोर्चों पर युद्ध होता है, यानी चीन और पाकिस्तान के बीच गठजोड़ होता है तो हमारी बहादुर सेना और बेहद सक्षम वायुसेना सबसे अच्छा यही कर सकती है कि उन्हें वहीं रोके रखें और गतिरोध पैदा करें। मुझे संदेह है कि हम इससे आगे कुछ कर पाएंगे। उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन अगर हम समुद्र की ओर देखें तो हमें अपने दोनों विरोधियों पर जबरदस्त बढ़त हासिल है। हम हिंद महासागर पर अपना दबदबा बनाए हुए हैं। हमारे पास एक सक्षम नौसेना है। और हम निश्चित रूप से हिंद महासागर के पानी में हमारे साथ संघर्ष शुरू करने वाले किसी भी व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं, धमका सकते हैं।'

उन्होंने कहा कि हमें अपनी समुद्री सुरक्षा के प्रति अधिक सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने अफसोस जताया कि हम समुद्री शक्ति के पूर्ण प्रभाव को समझने में अभी भी पीछे हैं।

एडमिरल प्रकाश ने कहा कि नौसेना किसी भी राष्ट्र की समुद्री शक्ति का एक छोटा सा घटक मात्र होती है। हमारे बंदरगाहों की हालत खराब है। युद्धपोत निर्माण को छोड़कर, हमारा जहाज निर्माण उद्योग फिर से मृतप्राय हो गया है। हमारा व्यापारिक बेड़ा बहुत छोटा है।

अफगानिस्तान-पाकिस्तान और ईरान पर चर्चा

राजदूत यश सिन्हा, शालिनी चावला और आरके कौशिक ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र और ईरान के बदलते हालात पर चर्चा की। इसमें ऐतिहासिक दृष्टिकोण के साथ-साथ मध्य पूर्व संघर्ष और पाकिस्तान-तालिबान के बीच चल रही वैमनस्यता पर भी विचार किया गया। फेस्ट में एक सत्र 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की हीरक जयंती पर भी समर्पित था, जहां विशेषज्ञों ने कहा कि उस समय सीखे गए सबक आज भी प्रासंगिक हैं और महाराजा रणजीत सिंह का साम्राज्य और गिलगित, बाल्टिस्तान और तिब्बत में उनके अभियान भी प्रासंगिक हैं।

 

 

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