किसान महापंचायत में उमड़ा जनसैलाब, लैंड पूलिंग पॉलिसी वापसी पर जश्न
समराला में पंजाब सरकार द्वारा विवादित लैंड पूलिंग पॉलिसी को वापस लेने के बाद रविवार को समराला में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले आयोजित महापंचायत में पंजाब भर से हजारों किसान भारी बारिश के बावजूद जुटे और जोरदार उत्सव मनाया। किसान नेताओं ने इस विजय को आंदोलन की एक महत्वपूर्ण कामयाबी बताते हुए दोहराया कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि यह केवल शुरुआत है।
लैंड पूलिंग पॉलिसी वापसी की वापसी से खुश , सरकार को दी चेतावनी
महापंचायत को संबोधित करते हुए वरिष्ठ किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकारों की नीयत पर सवाल उठाते हुए बताया कि विश्व बैंक द्वारा राज्यों को कर्ज़ देने की शर्त के तौर पर लैंड बैंक बनाने का दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि कॉर्पोरेट सेक्टर की नज़र किसानों की जमीन पर है और कोई भी सरकार अगर ज़मीन छीनने की कोशिश करेगी तो उसे कड़ा विरोध झेलना पड़ेगा।
राजेवाल ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि वह मुक्त व्यापार समझौतों के ज़रिए किसानों को तबाह करने पर तुली है और एसकेएम इसके खिलाफ जल्द बड़ा मोर्चा खोलेगा। उन्होंने पंजाब सरकार को दिल्ली की कठपुतली बताते हुए आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव जीतने के लिए आम आदमी पार्टी हर प्रकार के हथकंडे अपना रही है, लेकिन किसान समुदाय इसके लिए पूरी तरह तैयार है।
लैंड पूलिंग पॉलिसी वापसी पर सरकार को झुकाया : उगराहां
जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि किसानों की ताक़त ने सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने इसे सरकार का जल्दबाज़ी में लिया गया निर्णय बताया और कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां देश में पैर जमाने की फिराक में हैं, जिसके लिए किसानों की उपजाऊ जमीन पर कब्जा करना उनका उद्देश्य है। उगराहां ने कांग्रेस और अकाली दल पर भी निशाना साधा कि ये पार्टियाँ सत्ता से बाहर रहते समय ही किसानों के साथ खड़ी होती हैं।
हरिंदर सिंह लक्खोवाल ने कहा कि तथाकथित बदलाव की सरकार ने किसानों की जमीनें छीनने की कोशिश की, लेकिन ट्रैक्टर मार्च ने सरकार की आंखें खोल दीं। उन्होंने सरकार द्वारा अब तक गन्ने की फसल का भुगतान न करने का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाया।
महापंचायत में मौजूद अन्य किसान नेताओं ने भी एक सुर में कहा कि किसानों की एक इंच जमीन भी अधिग्रहण नहीं करने दी जाएगी। नेताओं ने मुक्त व्यापार समझौते, कपास पर टैक्स में कटौती और स्मार्ट बिजली मीटरों के खिलाफ जोरदार आवाज़ उठाई। उन्होंने कहा कि इससे कपास, डेयरी, शुगर मिलों व अन्य कृषि धंधों को भारी घाटा उठाना पड़ेगा और खेती चौपट हो जाएगी।
किसानों की प्रमुख माँगें इस प्रकार रहीं
मुक्त व्यापार समझौते से खेती व सहायक धंधों को बाहर रखा जाए
हर खेत को नहरी पानी और हर घर को पीने का साफ पानी मिले
सहकारिता आंदोलन को बचाने की दिशा में कदम उठाए जाएं
केंद्रीकरण की नीतियों का विरोध
गन्ने की बकाया राशि का तत्काल भुगतान
बाढ़ पीड़ितों को उचित मुआवज़ा
स्मार्ट बिजली मीटरों की अनिवार्यता का विरोध
महापंचायत के दौरान पंजाब के विभिन्न जिलों से आए किसान काफ़िलों की निगरानी के लिए प्रशासन ने भारी पुलिस बल तैनात किया था। समराला के चारों ओर के रास्ते जाम हो गए जिससे आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
इस अवसर पर कई प्रस्ताव पारित किए गए, जिन्हें सभी किसान संगठनों ने सर्वसम्मति से अनुमोदित किया। मुख्य वक्ताओं में राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला, डॉ. दर्शनपाल, हरमीत सिंह कादियां, बूटा सिंह बुरजगिल्ल, मनजीत सिंह धनेर और परमिंदर सिंह पालमजरा शामिल रहे।