हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महासू देवता मंदिर प्रांगण में दिवाली पर्व मनाने की सशर्त अनुमति दी
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला जिले की ग्राम पंचायत धारचांदना, बावट और गौंखर के लोगों को महासू देवता मंदिर के प्रांगण में दिवाली पर्व सशर्त मनाने की अनुमति दे दी है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने याचिका निपटारते हुए कहा कि ग्राम पंचायत धारचांदना और बावट के निवासी गौंखर स्थित मंदिर परिसर में मिलकर दिवाली मना सकते हैं, लेकिन बड़े जुलूस, हथियार व अभद्र भाषा का प्रयोग वर्जित रहेगा। एक परिवार के लिए एक मशाल रखने की अनुमति रहेगी, जो मंदिर के बाहर रखी जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि मंदिर परिसर में अधिक भीड़ न हो और नशे में कोई भी व्यक्ति प्रवेश न करे। ग्राम पंचायत धारचांदना और बावट के निवासी सुनिश्चित करेंगे कि धार्मिक नृत्य-गीत के दौरान गौंखर के निवासियों को कोई परेशानी न हो। उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक, शिमला को दिवाली उत्सव के दौरान तीन दिनों तक पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
मंदिर के प्रांगण में दशकों से बिशु, बूढ़ी दिवाली और पूर्णिमा जैसे सांस्कृतिक त्योहार मनाए जाते रहे हैं, जो एकता और सद्भाव का प्रतीक हैं। लेकिन कुछ वर्षों पहले बूढ़ी दिवाली बंद हो गई और धारचांदना तथा बावट के निवासियों ने 'नई दिवाली' मनाना शुरू किया, जिससे गौंखर के निवासियों के साथ कलह हुई। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि धारचांदना और बावट के कुछ लोग गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं।
कोर्ट ने पंचायत प्रमुखों से वचन लिया कि वे आदेशों का पालन सुनिश्चित करेंगे और सभी निवासियों को निर्देश पहुंचाएंगे।