ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
नयी दिल्ली, 19 जुलाई
तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का मुद्दा सोमवार को लोकसभा में गूंजा। कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, सीपीएम, आरएलपी, डीएमके और बसपा सदस्यों द्वारा इस मामले पर चर्चा करने के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया। अकाली दल की ओर से बठिंडा सांसद हरसिमरत कौर बादल ने यह प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव पर डीएमके (टीआर बालू), बीएसपी, सीपीएम और आरएलपी(हनुमान बेनीवाल) के नेताओं ने हस्ताक्षर किए। आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी किसानों की चिंताओं पर चर्चा की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया।
लोकसभा अध्यक्ष को लिखे एक पत्र में हरसिमरत ने कहा कि इन विधेयकों को किसानों, खेत मजदूरों और खेत व्यापारियों के विरोध की अवहेलना करते हुए सदन के माध्यम से जबरन पास करवाया गया। उन्होंने मांग की कि सदन में ‘किसान आंदोलन के शहीदों’ के नाम लिये जायें औरउन्हें श्रद्धांजलि दी जाए। उन्होंने कहा कि इस सदन को उन किसानों की शहादत को स्वीकार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ सैकड़ों किसान और खेत मजदूर अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने एक जिम्मेदार और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार से अपेक्षित संवेदनशीलता दिखाने से इनकार कर दिया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में देश ने कभी भी ऐसा आक्रोश नहीं देखा है। कांग्रेस सांसद तिवारी ने किसान आंदोलन पर चर्चा की मांग करते हुए कहा, ‘बड़ी संख्या में किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कानूनों के खिलाफ सामने आए हैं, जिससे उनकी आजीविका को खतरा है। अधिनियमों का विरोध इस आधार पर किया गया है कि वे किसानों को कॉर्पोरेट क्षेत्र द्वारा शोषण के लिए कमजोर बना देंगे। सरकार किसानों की चिंताओं को दूर करने या इन कृत्यों का कोई व्यवहार्य विकल्प पेश करने में विफल रही है।”