जीएस पॉल / ट्रिन्यू
अमृतसर, 2 सितंबर
एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत राधा स्वामी सत्संग ब्यास सोसाइटी (आरएसएसबी) के आध्यात्मिक प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों (69), जो ‘बाबाजी’ के नाम से जाने जाते हैं, अपना पद बरकरार रखेंगे। उन्होंने इससे पहले ऐलान किया था कि 2 सितंबर से, उनके दूर के रिश्तेदार, जसदीप सिंह गिल (45) उनके उत्तराधिकारी होंगे।
दरअसल आरएसएसबी के सचिव देवेंदर कुमार सीकरी ने मामले की जानकारी देते हुए बताया था, ‘आदरणीय संत सतगुरु और राधा स्वामी सत्संग ब्यास के संरक्षक बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने सुखदेव सिंह गिल के पुत्र जसदीप सिंह गिल को संरक्षक के रूप में नामित किया है। वह 2 सितंबर से तत्काल प्रभाव से गुरिंदर सिंह ढिल्लों का स्थान लेंगे।’ उनके संदेश में आगे लिखा गया था, ‘जसदीप सिंह गिल संत सतगुरु के रूप में बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों के उत्तराधिकारी होंगे और उन्हें दीक्षा (नाम) देने का अधिकार होगा’ और ‘बाबाजी ने कहा है कि जैसे उन्हें समर्थन और प्यार मिला है हुज़ूर महाराज जी की संगत से कामना और अनुरोध है कि जसदीप सिंह गिल को संरक्षक के साथ-साथ संत सतगुरु के रूप में वही प्यार और स्नेह दिया जाए।’
सूत्रों ने कहा कि साफ तौर पर ‘गलतफहमी’ के कारण इस बदलाव को लेकर अनुयायियों में नाराजगी बढ़ गयी और वे विरोध के तहत अमृतसर में डेरा ब्यास परिसर में इकट्ठा होने लगे। परिणामत: आरएसएसबी अधिकारियों को शाम को घोषणा करनी पड़ी कि गुरिंदर सिंह ढिल्लों अपने पद छोड़ने तक संत सतगुरु (आध्यात्मिक प्रमुख) बने रहेंगे और जसदीप सिंह गिल केवल संरक्षक होंगे।
सीकरी ने स्पष्ट किया, ‘जसदीप सिंह गिल को उत्तराधिकार नीति के तहत आरएसएसबी का संरक्षक बनाया गया था। वह संत सतगुरु के रूप में बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों का स्थान तभी लेंगे जब वह पद छोड़ देंगे। तभी उसे दीक्षा देने का अधिकार मिल सकता था। फिलहाल, वह प्रशासनिक व्यवस्था संभालेंगे।’ सूत्रों ने बताया कि गुरिंदर सिंह ढिल्लों की तबीयत ठीक नहीं है और वह कैंसर और दिल की बीमारी से पीड़ित हैं।
कौन हैं जसदीप सिंह गिल?


