नाहन के चौगान में गूंजी गुरबाणी, 350वें शहीदी वर्ष पर सजा भव्य दरबार
जिला मुख्यालय नाहन का ऐतिहासिक चौगान मैदान रविवार को धर्म और मानवता के इतिहास की महान घटना का साक्षी बना। ‘हिंद की चादर’ श्री गुरु तेग बहादुर जी और उनके अनुयायियों भाई मति दास, भाई सती दास और भाई दयाला के 350वें शहीदी वर्ष को समर्पित विशाल ‘गुरमत समागम’ का आयोजन किया गया।
नाहन के चौगान में श्रद्धालुओं ने भव्य दरबार में भाग लिया
कार्यक्रम का आयोजन ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री दशमेश अस्थान नाहन, सुखमणि सोसाइटी और सेवा दल नाहन के संयुक्त तत्वाधान में हुआ। इसमें न केवल सिख समुदाय, बल्कि शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया, जिससे यह समागम सर्वधर्म सद्भाव का प्रतीक बन गया।
स्थानीय विधायक अजय सोलंकी और प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता रूपेंद्र ठाकुर ने उपस्थित होकर अपने संबोधन में इस शहादत को धर्म की रक्षा के लिए अद्वितीय बलिदान बताया और महान शहीदों को भावपूर्ण नमन किया। विधायक सोलंकी ने कहा कि यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि देश में धार्मिक स्वतंत्रता की नींव रखने वाले बलिदान की याद दिलाता है।
रूहानी माहौल में हुई गुरबाणी की मधुर वर्षा
मुख्य रूप से दरबार साहिब (अमृतसर) के हजूरी रागी भाई जगतार सिंह खालसा ने गुरबाणी की मधुर रचनाएं प्रस्तुत कीं। खरड़ से भाई कुलविंदर सिंह, माणकपुर शरीफ से ढाडी जत्था भाई गरजा सिंह और सिरथले वाले संत बाबा प्यारा सिंह ने गुरु इतिहास और शहीदी गाथा का वर्णन कर संगत को निहाल किया।
देहरादून से गुरसिख मरजी वड़े कीर्तन जत्था, चंडीगढ़ से भाई हरप्रीत सिंह, बड़ू साहिब का अनहद वाणी जत्था और नाहन गुरुद्वारा साहिब के हजूरी रागी भाई गुरमीत सिंह ने भी अपनी हाजिरी भरकर माहौल को भक्तिमय बनाया।
संगत के लिए गुरु के अटूट लंगर की विशेष व्यवस्था की गई, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने पंक्तिबद्ध होकर प्रसाद ग्रहण किया। आयोजन समिति ने स्वास्थ्य शिविर भी लगाया। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष अधिवक्ता अमृत सिंह शाह ने समागम की सफलता के लिए नाहन और सिरमौर निवासियों का आभार व्यक्त किया।
