होशियारपुर (निस) : कांग्रेस सरकार ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (बीओआई) के प्रमुखों में बार-बार बदलाव कर रही और झूठे मामलों में अकाली दल के शीर्ष नेताओं को फंसाने के लिए मजबूर करने के लिए कार्यवाहक डीजीपी को भी बदल दिया गया है। उक्त विचार टांडा में शिअद-बसपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार लखविंदर सिंह लक्खी के पक्ष में अयोजित सभा को संबोधित करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व उप मुख्यमंत्री एंव शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कही। उन्होंने कहा कि एक झूठ हमेशा झूठ ही रहता है, यही कारण है कि पुलिस के आला अधिकारी शीर्ष अकाली कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने के कांग्रेस सरकार के निर्देशों का पालन करने से इनकार कर रहे हैं। सरकार ने पहले एडीजीपी अर्पित शुक्ला और फिर एडीजीपी वरिंदर कुमार को बदलकर बीओआई के शीर्ष नेतृत्व में दो बार बदलाव किया है। अब बीओआई के तीसरे प्रभारी-एडीजीपी एसके अस्थाना को पत्र लिखकर सरकार के निर्देश पर कोई अवैध मामला दर्ज करने का निर्देश मांगा है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।