जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 6 मई
‘हमें केवल उसी से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, जो हमने हासिल किया है। विश्व के शीर्ष दस विश्वविद्यालयों की कतार में खड़ा होने के लिये और काम करना होगा। पीयू एक गौरवशाली अतीत, बहुत प्रभावशाली वर्तमान और उज्ज्वल भविष्य वाला विश्वविद्यालय है, जो एकेडमिक के साथ-साथ खेलों में भी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।’ यह बात आज उपराष्ट्रपति एवं पीयू के चांसलर एम वेंकैया नायडू ने पंजाब विश्वविद्यालय के 69वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालयों को बौद्धिक संपदा अधिकारों के तहत कार्यान्वयन योग्य पेटेंट को अधिक महत्व देना चाहिए। बेहतर शोध परिणामों के लिए उद्योगों और संस्थानों के बीच संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता समय की मांग है। श्री नायडू ने शांति को तरक्की की पूर्व शर्त बताते हुए विश्वविद्यालयों से आह्वान किया कि परिसरों में शांति बनी रहे ताकि फैकल्टी और छात्र अपना ध्यान अकादमिक उत्कृष्टता हासिल करने पर केंद्रित कर सकें।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा सभी के लिए सुलभ, सस्ती होनी चाहिए और किसी व्यक्ति के दृष्टिकोण, सामाजिक सामंजस्य और समावेशी राष्ट्रीय विकास में सकारात्मक परिवर्तन की ओर ले जाने वाली चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आप वास्तव में तेज गति से विकास चाहते हैं तो आपको देश को शिक्षित करने की जरूरत है। देश की 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम और 50 फीसदी की उम्र 25 साल से कम है। उन्होंने कहा कि अगर हम उन्हें सशक्त, शिक्षित, प्रबुद्ध और प्रोत्साहित करते हैं तो वे अपने जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करेंगे और देश को दुनिया में उत्कृष्ट बनाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें हमारी सभ्यता, संस्कृति और विरासत ही आगे ले जा सकती है। आज जमाना रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्म का है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारा जीवन गुरु नानक देवजी के पांच गुणों से प्रकाशित होना चाहिए अर्थात् – सत (ईमानदार, सच्चा व्यवहार), संतोख (संतोष), दया (करुणा), निम्रता (विनम्रता) और प्यार (प्रेम)। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि ये सिद्धांत हमें बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।’ श्री नायडू ने छात्रों को जंक फूड से बचने और फिट रहने के लिए नियमित रूप से योग या खेलों में भाग लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि शारीरिक आवश्यकताओं और जलवायु के अनुसार पूर्वजों द्वारा निर्धारित उचित रूप से पका हुआ पारंपरिक भोजन ही खायें चाहे वह कहीं का भी हो लेकिन जंक फूड से बचें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रशंसा करते हुए श्री नायडू ने प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह इच्छा भी व्यक्त की कि मातृ भाषाओं को प्रशासन, अदालतों और विधायिकाओं की भाषा के रूप में इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने समाज में एकता और सद्भाव के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इन मूल्यों को हमारे स्कूलों में कम उम्र से ही छात्रों में पैदा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “21वीं सदी में जाति, पंथ, धर्म और लिंग के विभाजन के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। हम सब एक देश, भारत के निवासी हैं।” समारोह में पंजाब के राज्यपाल एवं यूटी के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित,हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोमप्रकाश, पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार, रजिस्ट्रार विक्रम नैयर, मानद उपाधि प्राप्तकर्ता और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद और पूर्व कुलपति प्रो. आरसी सोबती, केएन पाठक और प्रो. एके ग्रोवर और अन्य गणमान्य इस अवसर पर उपस्थित थे।
‘मैं अज्ज तुहाड्डे विचकार आके बड़ा खुश हां’
‘मैं अज्ज तुहाड्डे विचकार आके बड़ा खुश हां’ पंजाबी भाषा में इसी वाक्य के साथ उप-राष्ट्रपति ने अपना संबोधन शुरू किया। उन्होंने सतश्रीअकाल कहकर सभी उपस्थितजनों का दिल जीत लिया। नायडू ने कहा कि देश का कोई विश्वविद्यालय डिग्रियों के अलावा अवार्ड नहीं देता, अन्य विश्वविद्यालयों को भी इस मामले में पीयू से सीखना चाहिए। उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई को मजबूरी बताते हुए कहा कि यह कोई ‘इनलाइन’ पढ़ाई नहीं है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि वर्चुअल कभी एक्चुएल नहीं हो सकता। विदेश जाने पर भी युवाओं से कहा कि वे बाहर जायें, पढ़ें, कमायें और फिर वापस आ जाये।
भगवंत ने खूब बटोरी तालियां
भगवंत मान को देखकर छात्रों ने खूब जमकर तालियां पीटी। भगवंत मान जब तक मंच पर आसीन नहीं हो गये तालियां बजती ही रही। ऐसा नहीं है कि दूसरों के लिये तालियां नहीं बजी लेकिन मान के लिये छात्रों ने खास प्यार बरसाया। भगवंत मान केंद्रीय मंत्री से बतियाते दिखे हालांकि यह तो नहीं मालूम कि किस बात पर कानाफूसी हो रही थी लेकिन वे लगातार मौका मिलते ही उनसे बतिया रहे थे।
अजय सूद को डीएससी की मानद उपाधि
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद को डाक्टरेट आफ साइंस की मानद उपाधि से नवाजा। हालांकि स्वदेशी वैक्सीन निर्माण के अग्रदूतों में शामिल डॉ. कृष्णा एला और सुचित्रा एला को भी डीएससी की मानद उपाधि दी गई लेकिन वे विदेश में होने के चलते इसे ग्रहण नहीं कर पाये। इनके अलावा पंजाब विश्वविद्यालय प्रो. जे.एस. राजपूत को ज्ञान रत्न, भारतीय चिकित्सा में आचार्य राजेश कोटेचा को विज्ञान रत्न, भारतीय महिला हॉकी कप्तान रानी रामपाल को खेल रत्न, सेंट्रल यूनिवर्सिटी बठिंडा के चांसलर प्रो. जगबीर सिंह को साहित्य रत्न, एवन साइकिल के मालिक ओंकार सिंह पाहवा उद्योग रत्न और खांडू वांगचुक भूटिया को कला रत्न से सम्मानित किया गया।
इन हस्तियों को मिला सम्मान