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ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शिअद सदस्यता अभियान पर उठाए सवाल, राजनीति में आने का दिया संकेत

गुरतेज सिंह प्यासा/निस संगरूर, 14 फरवरी ज्ञानी हरप्रीत सिंह, जिन्हें हाल ही में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार की सेवाओं से निष्कासित कर दिया गया था, ने भी राजनीति में शामिल होने का संकेत...

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गुरतेज सिंह प्यासा/निस

संगरूर, 14 फरवरी

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ज्ञानी हरप्रीत सिंह, जिन्हें हाल ही में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार की सेवाओं से निष्कासित कर दिया गया था, ने भी राजनीति में शामिल होने का संकेत दिये साथ में शिरोमणि अकाली दल द्वारा की जा रही मैंबरशिप पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अकाली दल को लोकसभा चुनाव में 18 लाख वोट मिले थे लेकिन अब 35 लाख की भर्ती दिखला‌ रहे हैं जिससे सपष्ट होता है कि पार्टी में ‘फर्जी’ सदस्यों को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उस समय सभी दल इकट्ठा थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि उनकी भले ही राजनीति में आने की कोई मंशा नहीं है, लेकिन जरूरत पड़ी तो वह राजनीति में हाथ आजमाने से पीछे नहीं हटेंगे।

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13 फरवरी को बिना किसी ‘निष्कर्ष’ के हुई अकाल तख्त द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति की बैठक का संज्ञान लेते हुए उन्होंने बताया कि शिअद के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भुंडर, जिन्हें बैठक में भाग लेना था, ने कभी भी निमंत्रण स्वीकार करने की जहमत नहीं उठाई। उन्होंने कहा, ‘अकाल तख्त द्वारा गठित समिति के अधिकारों की अनदेखी करना साबित करता है कि ‘अकाली दल’ अब अकाल तख्त के निर्देशों से ‘भगोड़ा दल’ बन गया है।’

उन्होंने याद दिलाया कि वर्तमान समय में अकाली दल राजनीतिक रूप से अपनी जमीन खो चुका है। उन्होंने कहा कि शिअद की स्थापना नैतिकता के साथ सिख राजनीति को ध्यान में रखते हुए की गई थी। यह वह क्षेत्रीय पार्टी थी जो अन्य राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करती थी। समय के साथ इसने अपने सिद्धांत खो दिये हैं।

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