चंडीगढ़, 25 जून (ट्रिन्यू)
‘नमस्ते! मैं हूं वर्तिका नंदा। मैं एक भारतीय हूं और यह है-तिनका तिनका जेल रेडियो-जेलों में इंद्रधनुष बनाने की कोशिश।’ इन शब्दों के साथ, भारत की प्रमुख जेल सुधारक और मीडिया शिक्षक ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 15 जून, 2022 को ओस्लो, नॉर्वे में पहले अंतर्राष्ट्रीय जेल रेडियो सम्मेलन में अपनी बात रखी।
नॉर्वेजियन सुधार सेवाओं के निदेशालय के सहयोग से प्रिज़न रेडियो एसोसिएशन द्वारा आयोजित सम्मेलन 20 से अधिक देशों के प्रतिभागियों को एकसाथ लाने वाला एक ऐतिहासिक कार्यक्रम था। इसका उद्देश्य जेलों के मानवीकरण और कैदियों के पुनर्वास में जेल रेडियो की क्षमता पर वैश्विक ज्ञान और अनुभव-साझाकरण की सुविधा प्रदान करना था।
भारत में प्रिज़न रेडियो की कहानी : वर्तिका नंदा की 30 मिनट की विशेष और विस्तृत प्रस्तुति में भारत में जेल रेडियो का अवलोकन और उनके गैर लाभकारी संगठन, तिनका-तिनका फाउंडेशन द्वारा आगरा और देहरादून की जिला जेलों के साथ-साथ हरियाणा की 8 जेलों में लागू जेल रेडियो की पहल का विवरण शामिल था। तिनका-तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. वर्तिका नंदा ने अब तक देशभर में 100 से अधिक कैदियों को रेडियो जॉकी के तौर पर प्रशिक्षित किया है।
जेल रेडियो प्रशिक्षण और इसके कार्यान्वयन के दौरान तिनका तिनका ने लगभग एक दर्जन गाने जारी किये हैं, कोरोना के दौरान कैदियों को मानसिक सहारा दिया, उनके परिवारों को हौसल दिया और जेल के माहौल में सृजनात्मकता और सकारात्मकता भरने का मुश्िकल काम किया।
नंदा ने अपने ‘जेल सुधारों के तिनका मॉडल’ के बारे में एक व्यापक दृष्टिकोण भी दिया, जो जेल के कैदियों को मुख्यधारा के साथ एकीकृत करने के लिए मीडिया की शक्ति और रचनात्मकता का उपयोग करता है। उन्होंने अपने प्रयासों में सरकारी अधिकारियों से मिले समर्थन का सम्मानपूर्वक उल्लेख किया।
भारत में जेल रेडियो के अंतर्निहित दर्शन की व्याख्या करते हुए, नंदा ने समाज के समग्र प्रगतिशील विकास के लिए सलाखों के पीछे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया। डॉ. नंदा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि तिनका तिनका जेल रेडियो की मदद से जेलों में बंदियों के जीवन के बारे में बाहरी दुनिया को जागरूक करने की कोशिश कर रही हैं।